उपन्यास अंश

अधूरी कहानी: अध्याय-25: ब्लैकमेल

उसके बाद स्नेहा वापस दिल्ली आ गयी। कुछ दिन तक समीर का नम्वर बंद था और न ही कोई मेल आई थी जिससे स्नेहा बहुत घबरा गयी थी एक दिन समीर की मेल आयी स्नेहा ने रूपाली से मेल खोलने को कहा रूपाली न मेल ओपन की मेल देखकर रूपाली तथा स्नेहा दोनों दंग रह गये मेल में लिखा था-मेरी प्यारी स्वीट हार्ट स्नेहा मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूॅ इसलिए तुम्हारे साथ बिताये होटल के हर पल और हर लम्हें को और हसीन बनाने के लिये मैंने उन पलों को दिल के साथ-साथ कैमरे में भी कैद कर लिये है ।

पहले मैंने सोचा कि इन्हें इंटरनेट पर डाल दूॅ पर अगर तुम चाहती हो कि मैं ऐसा न करू तो और इन पलों को हमेशा दिल में कैद रखूॅ तो तुम्हें इसकी छोटी सी कीमत देनी पड़ेगी मात्र पचास लाॅख और तुम्हारे लिये ये बहुत ज्यादा नहीं है मेरी जान और हाॅ अगर तुमने किसी को बताने या साथ लाने की कोशिश की तो फिर होटल के हसीन पल तुम्हें इंटरनेट पर दिखेगें और पैसे कहा लाने है इसके लिये मेरे अगले मेल का इन्तजार करना।

समीर का यह रूप देखकर रूपाली व स्नेहा दंग रह गये स्नेहा बोली अब क्या किया जाये तब रूपाली बोली बिना पैसे के तो वो मानेगा नहीं अच्छा हुआ शादी से पहले पता चल गया अगर कही शादी हो जाती तो पता नहीं ये क्या करता तुम्हारे साथ स्नेहा ने उसे पैसे देने का मन बना लिया और मेल किया कि समीर हम तुम्हें पैसे देने को तैयार है पर इसकी कया गारंटी है कि तुम हमें फिर से ब्लैकमेल नहीं करोगे तब उधर से रिप्ले आया दुनिया विश्वास पर टिकी है और तुम मेरा विश्वास करने के अलावा कर भी क्या सकती हो तब स्नेहा बोली ठीक है तुम पता बताओ पैसे कहा लाने है समीर ने पता मेल किया और साथ मे ये भी कहा कि अकेले आना और अगर कोई चालाकी की तो तुम्हारे ये हसीन लम्हें इंटरनेट पर दिखेगे स्नेहा ने हाॅ में रिप्ले किया और फिर कम्प्यूटर बंद करके पैसे पैक करने लगी।

दयाल कुशवाह

पता-ज्ञानखेडा, टनकपुर- 262309 जिला-चंपावन, राज्य-उत्तराखंड संपर्क-9084824513 ईमेल आईडी-dndyl.kushwaha@gmail.com

2 thoughts on “अधूरी कहानी: अध्याय-25: ब्लैकमेल

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    कहानी का रुख मुड़ गया

    • देव कुशवाहा

      जी पहली बार कोशिश की है लम्बी कहानी लिखने की।

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