उपन्यास अंश

अधूरी कहानी: अध्याय-27: पासवर्ड

स्नेहा ने समीर को एक मेल सेन्ड की तथा मेल के साथ ट्रेपर नाम का साॅफटवेयर एड कर दिया तब रूपाली ने पूछा कि ये क्या है तब स्नेहा ने बताया कि ये हैगिंग साॅफटवेयर है जैसे ही समीर मेल खोलेगा तो उसका पासवर्ड हमारे पास मैसेज आ जायेगा रूपाली बोली यू आर ग्रेड स्नेहा और उसके बाद रूपाली स्नेहा के केविन से चले गयी और अपना काम करने लगी ।

थोड़ी देर बाद स्नेहा ने रूपाली को आवाज लगायी रूपाली दौड़कर आयी तो स्नेहा कम्प्यूटर शीट पर बैठी थी और समीर की आई डी का पासवर्ड आ चुका था फिर स्नेहा ने समीर की आई डी खोली समीर की आई डी जैसे ही खुली स्नेहा और रूपाली ने समीर की आई डी चैक की उसके बाद दोनों के मूॅह खुले के खुले रह गये स्नेहा बोली ये कैसे हो सकता है फिर स्नेहा ने अपने अंकल को बुलाया उसके अंकल ने कहा तुम इसे थोड़ा बिजी रखो तब तक हमारे एक्सपर्ट इसे ट्रैस करके ब्लैकमेलर को पकड़ सकते हैं स्नेहा ने उसे व्यस्त रखा तब तक एक्सपर्ट ने उसे ट्रैस कर लिया वह दिल्ली के ही किसी पास के साइबर कैफे में था पुलिस ने वह साइबर कैफे ढूंढ लिया और पुलिस इंस्पेक्टर सीधे अंदर गया और उसने एन्ट्री रजिस्टर को देखा तो उसमें समीर नाम से एन्ट्री तो हुयी थी पर वह चैक आउट करके निकल चुका था तब पुलिस इंस्पेक्टर ने कमिशनर को फोन किया और कहा सर ब्लैकमेलर हाथ से निकल गया।

स्नेहा सोच में डूबी थी क्योंकि स्नेहा की आई डी से समीर को एक मैसेज गया था जिसमें लिखा था समीर मेरे घर वालों ने मेरी शादी कही और तय कर दी है और मैं बहुत खुश हूॅ तुम मुझे भूल जाओ और अब मैसेज मत करना इससे स्नेहा को ये तो पता चल गया था कि ब्लैकमेलर समीर नहीं कोई और है पर उसे समीर की चिंता हो रही थी उसे लग रहा था कि समीर ब्लैकमेलर के कब्जे में होगा और यह सच था तब स्नेहा ने सोचा कि ब्लैकमेलर को बीस लाॅख देने पर वह समीर को छोड़ देगा इसलिए स्नेहा ने ब्लैकमेलर को बीस लाॅख रूपये दे दिये और समीर का इंतज़ार करने लगी।

स्नेहा को जैसे ही पता चला कि समीर छूट गया है तो स्नेहा ने तुरंत टिकट बुक करायी और एयरपोर्ट की तरफ निकल पड़ी वह बहुत खुश थी कि इतने दिनों बाद वह समीर से मिलेगी स्नेहा ने एयरपोर्ट पहुँच कर टिकट लिया और जाकर प्लेन में बैठ गयी प्लेन धीरे-धीरे रेंगने लगा तभी रूपाली का फोन आया उसने कहा कि समीर उसके आॅफिस में है तभी वह प्लेन के गेट की तरफ जाने लगी प्लेन का गेट बंद होने वाला था तभी स्नेहा बोली गेट खोलो मुझे उतरना है और स्नेहा चलते प्लेन से उतर गयी और गिरते-गिरते बची स्नेहा को सब लोग देख रहे थे स्नेहा वहाँ से सीधे अपने ऑफिस गयी वहां समीर को देखा तो जाकर उससे लिपट गयी।

दयाल कुशवाह

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