तनहा रातों का उदास मंजर जब होता है दिल तन्हाई के साये में सिसक के रोता है गुम होता है जब यादों के भंवर में यह आँखों के प्यालों को अश्कों से भिगोता है आस्तीनों में...
ओ३म् देश को अंग्रेजों के अत्याचारों से मुक्त कराने तथा गुलामी दूर कर देशवासियों को स्वतन्त्र कराने के मन्त्रद्रष्टा शहीद भगत सिंह जी का आज २८ सितम्बर को 109 वां जन्म दिवस है। शहीद भगद सिंह...
उफ्फ्फ यह पतिदेव भी क्या-क्या गज़ब ढाते हैं शादी के कुछ वर्षों में ही यह कितना बदल जाते हैं पहले वर्ष में कहते छोड़ो न काम काज को चंद घडीयां तो आओ मेरे पास बैठ जाओ...
इक आग सी अब सारे दिलों में जलाना जरुरी है इन पाकिस्तानियों को सबक सिखाना जरुरी है दे दी बहुत छूट इन्हें प्यार से बहुत समझा लिया प्यार भरी बातों से बहुत इनको पुचकार लिया रोक...
ओ३म् वेदाध्ययन करते हुए विचार आया है कि संसार की भाषा में समयानुसार परिवर्तन होते रहते हैं। एक भाषा का प्रत्यक्ष व परोक्ष प्रभाव दूसरी भाषा पर, दूसरी का तीसरी व अन्यों पर पड़ता देखा जाता...
सात पंक्तियों की रचना ……. पहली पंक्ति एक वर्ण सातवीं पंक्ति सात वर्ण जी नन्हीं नीड़ में संवर्धक मनु सिखाते तंगी में कुंजन चिड़िया व पिण्डज ~~~ हे ! मन अन्दोरी अवीक्षित न होड़ी बन लाज...
स्नेहा तथा समीर आॅफिस में थे तभी तभी रूपाली ऑफिस में आयी और उसने स्नेहा को एक कार्ड दिया स्नेहा ने वह कार्ड खोला तो वह कार्ड एक बहुत बड़ी कंपनी में हर साल होने वाले...
इंसानियत इंसान के हाथों कतल होती रही, नफरतों के बीज दुनिया किस कदर बोती रही बैठी रही सरकार बस कानों में डाले ऊंगलियाँ, हैवानियत हंसती रही, मासूमियत मरती रही हम तरसते ही रहे पानी की इक-इक...
दूर तक जहां भी जाती है नजर एक सूना सा मंजर आता है नजर… वीरान सी गलियां है, हर आंगन खाली है उजडे से गुलशन हैं, हैरान सा माली है वीरान सी गलियां…. होली अब रंगों...
शब्द कभी चुभ जाते हैं ,कभी सहला जाते है ,कभी रुला जाते हैं ,कितने शब्द ! शब्दों की एक अपनी विस्तृत दुनियां है शब्दों के अपने अहसास हैं ,ख़ुशी के गम के प्रेम के असंख्य भावनाएं...
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