बाल कहानी

गंगा स्नान

दस वर्ष की मनु के पैर आज ख़ुशी के मारे ज़मीन पर ही  नहीं पड़ रहे थे I जैसे ही उसके पापा ने उसे बताया कि गाँव से उसकी दादी आने वाली है उसका गोलमटोल मुहँ ख़ुशी के मारे दमक उठा था I उसे पता था कि दादी महाकुम्भ में गंगा स्नान के लिए आ रही है और साथ में वो अपने साथ ढेर सारे किस्से कहानियाँ भी लाएँगी जिन्हें सुनने के लिए उसके साथ -साथ उसकी सभी सहेलियाँ भी उनकी राह देखती रहती हैं I आखिर दिन भर के लम्बे इंतज़ार के बाद शाम को उसकी दादी उसके मनपसंद बेसन के लड्डुओं के साथ आ ही पहुंची और बस फिर क्या था मनु ने उन पर सबसे   पहले  कब्ज़ा जमा लिया I दादी भी उसे अपने साथ बैठाये  आधी रात तक उसे पौराणिक कथाएं   सुनाती रही जिसमे माँ गंगा को भागीरथी द्वारा स्वर्ग से उतार लाने वाली कथा उसके मन को छू गई और दादी ने जब उसे बताया कि  वेदों के अनुसार गंगा देवनदी है, और स्वर्ग में देवता इसे अमृत कहते थे तो मनु की उत्सुकता भी गंगा माँ के दर्शन करने को और बढ़ गई I  वो कब गंगा माँ की कथाएं सुनते हुए दादी की गोद में सो गई उसे पता ही नहीं चला I  उसे सपने में भी स्वच्छ ,निर्मल और कल कल करती गंगा दिखाई दी I दूसरे दिन वो सुबह दादी के साथ ही सूरज की  प्रथम किरण के साथ ही उठ  खड़ी हुई  I दादी ने जब उसे जन्मदिन  की शुभकामनाएं   देते  हुए  अपने हाथ  का बुना स्वेटर  पहनाया  तो ख़ुशी के मारे वो उनके  गले लिपट गई I उसकी मम्मी  ने भी उसे बहुत सारा प्यार करते  हुए  गुलाबी  रंग   की फ्रिल   वाली  फ्राक पहना दी और उसे जल्दी से कुम्भ के मेले में जाने के लिए तैयार होने को कहा I मनु जिद करके अपना कैमरा भी साथ ले गई थी आखिर उसे भी गंगा नदी में तैरती हुई हुई मछलियों की  फोटो जो खींचनी थी I वहाँ पहुँचकर तो मनु आश्चर्यचकित रह गई I इतने सारे लोग उसने एक साथ  इससे पहले कभी नहीं देखे थे I बड़ी बड़ी जटाओं वाले साधू- संतों को देखकर तो उसने दादी का पल्लू कस के   पकड़ लिया I उसने अगल बगल देखा तो पाया कि बाकी लोग भी एक दूसरे के कपड़े का किनारा पकड़ कर रेलगाड़ी के डिब्बों की तरह चल रहे थे। पर वो गंगा नदी के दर्शन करने को इतनी उत्सुक थी कि उसने एक बार भी दादी और मम्मी के सामने अपना डर ज़ाहिर नहीं होने दिया I  ख़ुशी ख़ुशी वो एक हाथ से माँ गंगा के दूध से सफ़ेद जल के दर्शन करने को बैचेन थी I पर जब वो दादी के साथ भीड़  को चीरती हुई जब वह तट पर पहुंची तो उसका घबराहट के कारण सर घूमने लगा I चारों तरफ वहाँ कीचड और बिलकुल काला पानी था I लोग साबुन से मल मल कर नहा रहे थे और वही अपने साथ लाये ढेरो गंदे कपडे धो रहे  थे I वो कुछ समझ पाती इससे पहले ही दादी बोली-” अब हम जल्दी से गंगा स्नान कर लेते है I “
” पर दादी माँ, जिस देवनदी गंगा के बारे में आपने बताया था वो हैं कहाँ  ? ये तो बिलकुल गन्दा कीचड जैसा पानी है और लोग यहाँ पर बदबू से बचने के लिए मुहं पर रुमाल रखे हुए है I “
दादी के साथ साथ वहां खड़े लोग भी ये सुनकर सन्न रह गए I पर मनु को गंगा माँ की दुर्दशा देखकर बहुत रोना आ रहा था I वो बगल में ही ढेर सारे गंदे कपडे धोते हुए एक औरत से बोली-” मेरी दादी इस जल में स्नान करने और इसे पूजा में ले जाने के लिए गाँव से आई है और आप लोग इसमें इतना साबुन डालोगे तो क्या ये शुद्ध रह पायेगा I ” ये सुनकर उस औरत की आँखें शर्म से झुक गई और उसने वापस उन कपड़ो की पोटली बनाकर एक ओर रख दी I

दादी आँखों में आँसूं भरकर रूंधे गले से बोली-” वो देखो हज़ारों टन कूढ़ा करकट इस नदी में रोज बहाया जाता है I
लोग कीचड़ में डुबकी लगा रहे हैं या गंगा में, इन्हें खुद ही नहीं पता है I सभी घरों के सड़े हुए फूल और पूजा की सामग्री  इस पवित्र नदी में लाकर बहा देते समय उन्हें जरा सा भी इसके अपवित्र  होने का दुःख नहीं होता I

तब तक मनु के पैर से कुछ टकराया  और वो डर के मारे चीख उठी I देखा तो एक मरा हुआ कुत्ता वहाँ बहते हुए आ गया था I
मनु अब फूट फूट कर रोते हुए बोली-” दादी, क्या हम गंगा को फिर से देवनदी नहीं बना सकते ?”
दादी उसे प्यार से चूमते हुए बोली-” तुम्हीं बच्चों को तो आगे बढ़कर इसे बचाना हैं I लोगो को बताना हैं कि फूल -पत्ती  और बाकी पूजा की सामग्री कहीं  गद्द्धा खोदकर डाले और यहाँ कभी भी साबुन लेकर स्नान ना करे I  “
मनु ये सुनकर आँसूं पोंछते हुए बोली-” दादी, मैं  कल ही अपने स्कूल में प्रिंसिपल सर को यह बात बताउंगी ताकि ये बातें हर बच्चा जाने और हमारी गंगा माँ को कोई गन्दा ना करे I “
दादी की आँखों में ख़ुशी के आँसूं मोती बनकर झिलमिला उठे  और उन्होंने श्रद्धा से माँ गंगा के सामने आखें  मूंदकर हाथ जोड़ लिए I  तभी गंगा से एक लहर निकल तेजी से आई और मनु को सराबोर कर गई मानों उसके जन्मदिन पर उसे इस नेक काम के लिए आशीर्वाद दे रही हो I

डॉ. मंजरी शुक्ला

2 thoughts on “गंगा स्नान

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    सार्थक लेखन
    प्रेरक कथा

    • Manjari Shukla

      बहुत बहुत धन्यवाद

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