राजनीतिहास्य व्यंग्य

आईना बोलता है !

अखिलेश यादव ने बिहार को यू पी का विकास माॅडल दिखाया – एक समाचार ।

आशा करता हूँ कि सड़कों का हाल भी बताया होगा, जो कि हैं ही नहीं। ऊर्जा का हाल भी बताया होगा जो (सैफई को छोड़ कर) घंटों नहीं आती है। सिंचाई व्यवस्था का हाल बताया होगा जिसकी गवाही प्रदेश की फटी हुई धरती का सीना दे रहा है। पशुधन का हाल बताया होगा, जिनके गजरिया जैसे पशु फार्म बिल्डरों के हाथ औने-पौने में बेच दिये गये।

स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता बताते हुए अस्पतालों की सुविधाएँ बखानी होंगी, जहाँ डाक्टर नहीं, वार्ड बाॅय इलाज करते हैं और डाक्टर पड़ोस के नर्सिंग होम में आपरेशन करते हैं। शहरों की साफ सफाई का हाल बताया होगा जो आँधी या बारिश से होती हैं, नगर निकायों द्वारा नहीं। शिक्षातंत्र का उल्लेख किया होगा जो पूरी तरह से नायाब है। अव्वल तो शिक्षक होंते ही नहीं और अगर हैं तो शिक्षेतर कार्यों में व्यस्त रहते हैं । बच्चे फेल न हों इसके लिए सामूहिक नकल की व्यवस्था है। व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा के लिये पेपर लीक कर दिये जाते हैं ।

बताया होगा कि किस प्रकार बेरोजगारी पर काबू पाया गया है। सरकारी नियुक्तियाँ पैसा और जाति देख कर की जाती हैं, और जो बच जाते हैं वे चोरी-चकारी, लूट-पाट और डकैती जैसे स्वरोजगार धन्दे अपना लेते हैं। सरकारी महकमों की कर्मठता और निपुणता बखानी होगी जो पैसे के आधार पर हर काम संभव करने में सक्षम हैं, वो चाहे निर्माण या खनन का टेंडर हो, या जाति प्रमाण पत्र। बड़े जतन से समझाया होगा कि किस प्रकार प्रदेश भर में निर्माण कार्यों के लिये खेती की जमीन खुर्दबुर्द की जा रही है । न रहेंगे किसान, न रहेंगी किसान संबंधित समस्याएँ ।

कानून और सुरक्षा व्यवस्था का गुणगान किया होगा जहाँ अपनी जान और माल की सुरक्षा के लोग खुद जिम्मेदार हैं, और जहाँ औसतन दो हत्याएँ और एक बलात्कार नित्य होते है पर पुलिस का क्राइम ग्राफ शून्य होता है क्योंकि शिकायतें दर्ज नहीं होतीं । नेता और जनता के परस्पर मधुर संबंधों के गुण गाए होंगे कि किस तरह जनता गाली देते नहीं थकती पर नेता के कान पर जूँ तक नहीं रेंगती। मैं जानता हूँ कि अपने विकास माॅडल को समझाने में माननीय को शब्द कम पड़ गए होंगे।

अब यदि मोदी जी पूरे देश को गुजरात बनाने में लगे हुए हैं तो अखिलेश जी भी दो चार प्रदेशों को यूपी तो बना ही सकते हैं। फिर, इसमें गलत भी क्या है !

— मनोज पांडेय ‘होश

 

मनोज पाण्डेय 'होश'

फैजाबाद में जन्मे । पढ़ाई आदि के लिये कानपुर तक दौड़ लगायी। एक 'ऐं वैं' की डिग्री अर्थ शास्त्र में और एक बचकानी डिग्री विधि में बमुश्किल हासिल की। पहले रक्षा मंत्रालय और फिर पंजाब नैशनल बैंक में अपने उच्चाधिकारियों को दुःखी करने के बाद 'साठा तो पाठा' की कहावत चरितार्थ करते हुए जब जरा चाकरी का सलीका आया तो निकाल बाहर कर दिये गये, अर्थात सेवा से बइज़्ज़त बरी कर दिये गये। अभिव्यक्ति के नित नये प्रयोग करना अपना शौक है जिसके चलते 'अंट-शंट' लेखन में महारत प्राप्त कर सका हूँ।