कवितापद्य साहित्य

फुटपाथ के बशिंदे

पिघल उठता है हृदय,
जब नजर जाती है फुटपाथ पर,
कैसे ? बिताते हैं अपना जीवन।
उस भयानक डगर पर।
अपना बसेरा खुले आसमान में बनाये हैं।
रुलाई गुप्त कमरे में,
उनके हृदय में उमड़ती है।
सुसंस्कृत,बुद्धिमानों की श्रेणी में नहीं आते।
इन सब चीजों से दूर,
उसी परिवेश में जन्मे बालकों का,
परिवरिश करती हैं।
असंख्य स्त्री पुरुष भटकते,
किसी वस्तु की खोज में।
रूकना चाहते हैं कहीं,
लेकिन मिलो दूरियां पैदल चले जाते हैं।
अंधेरी खांई रूपी जीवन को पार करते हुए।
जीवन कठिनाई से काटतें हैं।
गन्दी बस्तियों में नालों के पास,
अपना आहार बनातें हैं।
पत्थर और ईट के चूल्हों पर,
सुलगाते हैं आग।
पकाते हैं भोजन।
वहीं फुदकते हैं दो चार,
ठोस बनी स्त्री-पुरुष की आकृतियाँ।
चिलचिलाती हुई धूप में।
मुझे होती है ग्लानि,
इस देश की असली तस्वीरें देखकर।
आज भी लोग,
इस कदर जीवन जीने पर मजबूर हैं।
पिघल उठता है हृदय,
जब नजर जाती है फुटपाथ पर।
रमेश कुमार सिंह /०७-०८-२०१५

रमेश कुमार सिंह 'रुद्र'

जीवन वृत्त-: रमेश कुमार सिंह "रुद्र"  ✏पिता- श्री ज्ञानी सिंह, माता - श्रीमती सुघरा देवी।     पत्नि- पूनम देवी, पुत्र-पलक यादव एवं ईशान सिंह ✏वंश- यदुवंशी ✏जन्मतिथि- फरवरी 1985 ✏मुख्य पेशा - माध्यमिक शिक्षक ( हाईस्कूल बिहार सरकार वर्तमान में कार्यरत सर्वोदय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सरैया चेनारी सासाराम रोहतास-821108) ✏शिक्षा- एम. ए. अर्थशास्त्र एवं हिन्दी, बी. एड. ✏ साहित्य सेवा- साहित्य लेखन के लिए प्रेरित करना।      सह सम्पादक "साहित्य धरोहर" अवध मगध साहित्य मंच (हिन्दी) राष्ट्रीय सचिव - राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन मध्यप्रदेश,      प्रदेश प्रभारी(बिहार) - साहित्य सरोज पत्रिका एवं भारत भर के विभिन्न पत्रिकाओं, साहित्यक संस्थाओं में सदस्यता प्राप्त। प्रधानमंत्री - बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन इकाई सासाराम रोहतास ✏समाज सेवा - अध्यक्ष, शिक्षक न्याय मोर्चा संघ इकाई प्रखंड चेनारी जिला रोहतास सासाराम बिहार ✏गृहपता- ग्राम-कान्हपुर,पोस्ट- कर्मनाशा, थाना -दुर्गावती,जनपद-कैमूर पिन कोड-821105 ✏राज्य- बिहार ✏मोबाइल - 9572289410 /9955999098 ✏ मेल आई- rameshpunam76@gmail.com                  rameshpoonam95@gmail.com ✏लेखन मुख्य विधा- छन्दमुक्त एवं छन्दमय काव्य,नई कविता, हाइकु, गद्य लेखन। ✏प्रकाशित रचनाएँ- देशभर के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में एवं  साझा संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित। लगभग 600 रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं तथा 50 साझा संग्रहों एवं तमाम साहित्यिक वेब पर रचनाये प्रकाशित। ✏साहित्य में पहला कदम- वैसे 2002 से ही, पूर्णरूप से दिसम्बर 2014 से। ✏ प्राप्त सम्मान विवरण -: भारत के विभिन्न साहित्यिक / सामाजिक संस्थाओं से  125 सम्मान/पुरस्कार प्राप्त। ✏ रूचि -- पढाने केसाथ- साथ लेखन क्षेत्र में भी है।जो बातें मेरे हृदय से गुजर कर मानसिक पटल से होते हुए पन्नों पर आकर ठहर जाती है। बस यही है मेरी लेखनी।कविता,कहानी,हिन्दी गद्य लेखन इत्यादि। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ आदरणीय मित्र मेरे अन्य वेबसाईट एवं लिंक--- www.rameshpoonam.wordpress.com http://yadgarpal.blogspot.in http://akankshaye.blogspot.in http://gadypadysangam.blogspot.in http://shabdanagari.in/Website/nawaunkur/Index https://jayvijay.co/author/rameshkumarsing ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ आपका सुझाव ,सलाह मेरे लिए प्रेरणा के स्रोत है ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

6 thoughts on “फुटपाथ के बशिंदे

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत मार्मिक कविता !

  • रमेश जी , गरीबी जैसा दुःख इस संसार में है ही नहीं . कविता से आँखें नम हो गईं .

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    मार्मिक रचना

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