बोधकथा

संगत का असर.

चोरी की नीयत से एक चोर राजा के महल में प्रवेश कर गया, उसे खबर थी की महारानी सोने से पहले अपना हीरो का बहुमूल्य  हार पलंग के सिरहाने ही रख कर सो जाती है। चोर मौका देख कर महारानी के पलंग के नीचे छिप गया और महारानी के सोने का इंतज़ार करने लगा.

बहुत रात बीत गयी, महारानी जाग रही थी, तभी महाराजा ने प्रवेश किया. महाराजा काफी चिंता में थे. महारानी से बोले… मैंने  रात स्वपन देखा है .. मुझे देवलोक से आदेश हुआ है की हम अपनी राजकुमारी का विवाह किसी साधु सन्यासी से कर दे, वर्ना हमारा यह राज्य किसी घोर विपदा में फंस जायेगा, अकाल पड़ जायेगा , जनता भूखों मरेगी, यह राजपाट सब छिन जायेगा। राजा और रानी दोनों ने निश्चय किया की वह अपनी राजकुमारी का विवाह किसी साधु सन्यासी से कर देगें, जिससे उनके राज्य की रक्षा हो सके.

चोर यह सब सुन रहा था, अगले दिन वह साधु सन्यासियों की कतार में गंगा किनारे बैठ गया. राजा के दरबारी आये और सभी साधु सन्यासियों से हाथ जोड़ बारी बारी विनती करने लगे कि आपको महाराज ने याद किया है, और अपनी राजकुमारी का विवाह आपसे करना चाहते हैं, सभी साधु सन्यासी, सच्चे थे, मोह माया से दूर, सुख वैभव सब त्याग कर केवल प्रभु भक्ति करते थे. किसी ने भी उनकी बात नहीं मानी और स्पष्ट इंकार कर दिया.जब चोर, जो की साधु वेश में बैठा था, तो उससे भी यही निवेदन किया…वह कुछ न बोला.. उस ने समझ लिया कि उसके तुरंत हाँ करने से कहीं इनको शक न हो जाये, वह पहले सभी साधू सन्यासियों के रहन सहन आदि को सीखना चाहता था, जिस से वक़्त पड़ने पर अपना बचाव कर सके.

उसकी ख़ामोशी पर राजा के दरबारियों ने फिर प्रयत्न किया, तो उसने कहा… एक सप्ताह बाद आना, तब मैं अपना निर्णय दूंगा. दरबारियों ने राजा को बात बताई, एक सप्ताह बाद राजा स्वयं उस साधु बने चोर के आगे झोली फैला कर खड़े हो गए और उन से विनय करने लगे की वह हमारी राजकुमारी से विवाह कर ले, एक सप्ताह तक साधु सन्यासियों के बीच रह कर और प्रभु भक्ति में मिलते  उनके आत्मिक आनन्द को देख कर उसका हृदय परिवर्तन हो चुका था,  वह समझ गया था कि सच्चा सुख कहाँ है, आज उसके इस रूप के कारण ही राजा महाराजा भी उसके आगे हाथ जोड़ कर खड़े हैं और उसने जीवन भर साधु सन्यासी के रूप में रहने का निश्चय कर डाला और राजा को वही उत्तर दिया जो बाकी साधुओं ने दिया था. उस ने भी राजकुमारी से विवाह करने से मना कर दिया.

यही होता है सही संगत का असर.

 

— जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845

3 thoughts on “संगत का असर.

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी बोध कथा। शठ सुधरहिं सत्संगति पायी।

  • भाटिया जी , कथा अति सुन्दर लगी ,आप बहुत अच्छा लिखते हैं ,धन्यवाद .

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    संगत का असर बहुत होता है
    सुंदर कथा

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