बाल कविता

प्यारा बचपन

आपस में खेले ऑख मिचौली
तारों के संग छुपा -छुपी
चॉद के संग दौडा-दौडी
शोर मचाएँ होड मचाए
करते आपस में हाथा पाई
गुड्डा – गुड्डी खेल -खिलौने
सब उनके सगे संबंधी
साथ ही रोते साथ ही हँसते
साथ बैठ पढाई करतें
तु तु मै मै वाली बोली से
करते रहते अपनी मनमानी
सबसे प्यारा रहता बचपन
सबकी अपनी -अपनी दुनियॉ
बच्चो की प्यारी यह टोलियॉ
निवेदिता चतुर्वेदी…

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४