स्वास्थ्य

बॉडी सर्विसिंग

जब हम कोई कार या अन्य वाहन खरीदते हैं तो उसमें बार बार पेट्रोल आदि डालकर ही नहीं रह जाते, बल्कि उसकी अच्छी देखभाल और सफाई भी करते हैं। यहाँ तक कि हर साल एक या दो बार उसको विशेष सर्विसिंग के लिए भी देते हैं ताकि वह गाड़ी भली प्रकार चलती रहे और अचानक कभी धोखा न दे जाये। यह बात लगभग सभी प्रकार की मशीनों के लिए सत्य है।

हमारा शरीर भी एक मशीन है और यह कार आदि किसी भी अन्य मशीन से अधिक क़ीमती है। लेकिन खेद है कि हम इसकी देखभाल पर उतना ध्यान नहीं देते, जितना देना चाहिए। भोजन के रूप में दिन में तीन बार इसमें ईंधन डालकर ही हम अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि हमारा यह वेशकीमती शरीर बेडौल होने लगता है और अनेक बीमारियों का घर बन जाता है।

हमारा यह शरीर स्वस्थ रहकर जीवनभर हमारा साथ देता रहे, इसके लिए यह आवश्यक है कि हम इसका रखरखाव भी किसी क़ीमती मशीन या सम्पत्ति की तरह करें और समय-समय पर इसकी सर्विसिंग भी करायें ताकि यह अच्छी तरह चलता रहे। इसे बॉडी सर्विसिंग कहा जाता है।

बॉडी सर्विसिंग के लिए हम साल में कम से कम एक बार किसी प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र में जाकर हफ्ते-दस दिन रह सकते हैं जहाँ शुद्ध सात्विक स्वास्थ्यवर्धक आहार के साथ-साथ योग, प्राणायाम, जल चिकित्सा, मिट्टी चिकित्सा, भाप स्नान, मालिश आदि के द्वारा हमारे शरीर की सफाई की जा सकती है जिससे वह पूरी तरह नवीन हो जाता है।

यदि किसी कारणवश हम इतने समय अपने घर से या काम से दूर न रह सकें तो हम स्वयं भी कुछ दिन तक नियंत्रित आहार तथा सरल उपचारात्मक क्रियाओं का सहारा लेकर अपने शरीर की सर्विसिंग कर सकते हैं।

यदि अपने शरीर की इस प्रकार उचित समय अंतरालों पर सर्विसिंग कर ली जाये, तो हम उन तमाम छोटी-बड़ी बीमारियों से बचे रह सकते हैं जिनके उपचार में न केवल हमारा बहुत सा समय और धन नष्ट होता है वरन् कई बार हमारा जीवन भी संकट में पड़ जाता है।

— विजय कुमार सिंघल

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com

5 thoughts on “बॉडी सर्विसिंग

  • वैभव दुबे "विशेष"

    सत्य वचन सर जी
    व्यायाम उचित साधन
    है शरीर को स्वस्थ रखने का.
    सार्थक लेख

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    सार्थक लेखन
    शरीर के लिए उत्तम आलेख

    • विजय कुमार सिंघल

      आभार, बहिन जी !

  • अत्ति उतम जानकारी के लिए धन्यवाद ,विजय भाई . यह सर्विसिंग बहुत कम लोग करते हैं लेकिन यह सही बात है कि सर्विसिंग से गाडी की तरह हमारा शरीर भी ठीक ढंग से चलता रहता है ,हाँ यह इल्ग्ग बात है कि कार की भाति नुकस भी पड़ते रहते और उस के लिए कोई मकैनीक यानी चकित्सक की सेवायें लेनी चाहिए .

    • विजय कुमार सिंघल

      धन्यवाद, भाई साहब। हम किसी डाक्टर की सहायता के बिना भी हम अपनी बॉडी की सर्विसिंग कर सकते हैं। मेरा अगला लेख इसी विषय पर है।

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