गीत/नवगीत

पत्नी जी की आरती

हे पत्नी तुम ही हो भार्या , तू ही बेटर हाफ
घर के संग में करती , पॉकेट भी तू साफ़
द्वार खड़े प्रभु तेरे , सुन लो ये अरदास
पतियों के संग होगा ,आखिर कब इन्साफ ……… तू ही बेटर हाफ

हाथ में बेलन साजे , सर पे क्रोध सवार
कमर में पल्लू खोसे , लड़ने को तैयार
महाकाली रणचंडी, का लगती अवतार
नयन झुकाए कहते आज तो कर दो माफ़ ………. तू ही बेटर हाफ

दोस्त यार सब छूटे , देख के तेरा ताप
किसके आगे काढे , अपने मन की भाप
बच्चे भी चुप रहते , और चुप उनका बाप
१००-१०० प्रश्न तू करती , कर लेता जो लाफ ……… तू ही बेटर हाफ

मइके जब तू जाती , हँस हँस के रोता
वो कुछ दिन का जीवन , स्वर्गमयी होता
पलंग पे पैर पसारे, खुल कर के सोता
आते ही गिर जाता, खुशियों का तो ग्राफ ……………. तू ही बेटर हाफ

— मनोज “मोजू”

मनोज डागा

निवासी इंदिरापुरम ,गाजियाबाद ,उ प्र, मूल निवासी , बीकानेर, राजस्थान , दिल्ली मे व्यवसाय करता हु ,व संयुक्त परिवार मे रहते हुए , दिल्ली भाजपा के संवाद प्रकोष्ठ ,का सदस्य हूँ। लिखना एक शौक के तौर पर शुरू किया है , व हिन्दुत्व व भारतीयता की अलख जगाने हेतु प्रयासरत हूँ.