गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

बाज़ार मैं बैठे मगर बिकना नहीं सीखा
हालात के आगे कभी झुकना नहीं सीखा

तन्हाई मैं जब छू गई यादें मिरे दिल को
फिर आंसुओं ने आँख मैं रुकना नहीं सीखा

फिर आईने को बेवफा के रूबरू रक्खा
मैंने वफ़ा की लाश को ढकना नहीं सीखा

जब चल पड़े मंजिल की जानिब ये कदम मेरे
फिर आँधियों के सामने रुकना नहीं सीखा

महावीर उत्तरांचली

महावीर उत्तरांचली

लघुकथाकार जन्म : २४ जुलाई १९७१, नई दिल्ली प्रकाशित कृतियाँ : (1.) आग का दरिया (ग़ज़ल संग्रह, २००९) अमृत प्रकाशन से। (2.) तीन पीढ़ियां : तीन कथाकार (कथा संग्रह में प्रेमचंद, मोहन राकेश और महावीर उत्तरांचली की ४ — ४ कहानियां; संपादक : सुरंजन, २००७) मगध प्रकाशन से। (3.) आग यह बदलाव की (ग़ज़ल संग्रह, २०१३) उत्तरांचली साहित्य संस्थान से। (4.) मन में नाचे मोर है (जनक छंद, २०१३) उत्तरांचली साहित्य संस्थान से। बी-४/७९, पर्यटन विहार, वसुंधरा एन्क्लेव, दिल्ली - ११००९६ चलभाष : ९८१८१५०५१६