गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

कभी है ग़म,कभी थोड़ी ख़ुशी है
इसी का नाम ही तो ज़िन्दगी है

हमें सौगात चाहत की मिली है
ये पलकों पे जो थोड़ी-सी नमी है

मुखौटे हर तरफ़ दिखते हैं मुझको
कहीं दिखता नहीं क्यों आदमी है?

फ़िज़ा में गूँजता हर ओर मातम
कि फिर ससुराल में बेटी जली है

सभी मौजूद हों महफ़िल में,फिर भी
बहुत खलती मुझे तेरी कमी है

दहल जाए न फिर इंसानियत ‘जय’
लड़ाई मज़हबी फिर से छिड़ी है

जयनित कुमार मेहता

पिता- श्री मनोज कुमार मेहता जन्मतिथि- 06/11/1994 शिक्षा:बी.एन. मंडल विश्वविद्यालय,मधेपुरा(बिहार) से राजनीति शास्त्र में स्नातक (अध्ययनरत) रूचि: साहित्य में गहन रूचि। कविता,गीत, ग़ज़ल लेखन.. फेसबुक पर निरंतर लेखन व ब्लॉगिंग में सक्रिय! प्रकाशित कृतिया: एक साझा काव्य संग्रह 'काव्य-सुगंध' शीघ्र (जनवरी 2016 तक) प्रकाश्य!! पता: ग्राम-लालमोहन नगर,पोस्ट-पहसरा, थाना-रानीगंज, अररिया, बिहार-854312 संपर्क:- मो- 09199869986 ईमेल- jaynitkrmehta@gmail.com फेसबुक- facebook.com/jaynitkumar