गीतिका/ग़ज़ल

कह रहा है दिल गज़ल कोई लिखुं…

कह रहा है दिल गज़ल कोई लिखुं।
मुस्कुराता हंसता पल कोई लिखूं॥

भूल कर आघात के मंजर सभी।
चाहतों का नव कमल कोई लिखूं॥

मोड कर इस दर्द के सैलाब को।
अब मेरी मुश्किल का हल कोई लिखूं॥

छोड कर आंसू में डूबी ये कलम।
हौसलों का अपना पल कोई लिखूं॥

क्यूं तेरे बंगलों पे हैरत मैं करु।
क्यूं ना अपना घर महल कोई लिखूं॥

क्या जरूरी है इन्हें आंसू पुकारू।
क्यूं ना मोती का महल कोई लिखूं॥

सलवटें करती हैं बैचेनी बयां।
क्यूं ना रिश्तों की पहल कोई लिखूं॥

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.