नवगीत : हम बेरोजगार हैं
डिग्रियां नहीं जल रहीं हमारे ख्वाब जल रहे हैं नौकरी की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं समानता का अधिकार
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Read Moreयूं आज मेरे सब्र की तौहीन कर गये। पलकों के बांध तोड कर आंसू बिखर गये॥ शिद्दत से बहुत हमने
Read Moreओ३म स्वामी वेदानन्द तीर्थ (1892-1956) वेदों के शीर्षस्थ विद्वान थे। उन्होंने जो साहित्य़ सृजित किया, वह मनुष्य की उन्नति के
Read Moreजब मैंने काम शुरू किया था, उस समय बहुत से इंडियन पाकिस्तानी और जमेकन लोग बस्सों पे काम करने के लिए
Read Moreआज गुरु नानक जी का प्रकाश उत्सव है। हर साल की भांति सिख समाज गुरु नानक के प्रकाश उत्सव पर
Read Moreनीले-नभ पर स्याह रात की चादर सा घन है. ऐसे में क्या लिखूँ आज बस रोने का मन है. कभी-कभी
Read More(आमिर खान के देश छोड़ने वाले बयान पर मेरी एक असहिष्णु कविता) “सरफ़रोश” निकला “गुलाम” “दिल” भारत माँ का टूट
Read More(पेरिस पर हुए आतंकवादी हमले के सन्दर्भ में मेरी कविता) माना कोई धर्म नहीं है आतंकी उन्मादी का, माना कोई
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