गीत (अन्तिम ख़त) | शिव चाहर मयंक
सरहद से वर्दी संग उसका हर सपना ले जाना है! अन्तिम ख़त साथी का मुझको उसके घर पहुँचाना है!
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Read Moreसूरज, चाँद, गगन से पहले याद वही तो आऐगें! मरे नहीं वो अमर हुऐ है दिल में साथ निभाऐगें!
Read Moreसुनो नव वर्ष इस तरह से आना जीवन में सबके खुशियां लाना ! खोये रहते जो अंधेरों में हमेशा
Read Moreओ३म् वर्तमान समय में हमने व हमारे देश ने आंग्ल संवत्सर व वर्ष को अपनाया हुआ है। इस आंग्ल
Read Moreलघुकथा- आ लौट चले फोन रखते ही पत्नी माथा पकड़ के बैठ गई. विजातीय पति से लव मैरिज के कारण
Read Moreरिश्ता है ये सबसे न्यारा, सबसे अनुपम है ये बंधन, ॠणी रहूँगा सदा तुम्हारा, हे माँ तुझको मेरा वंदन, तुमने
Read Moreहमारा जहाज़ अमृतसर छोड़ चुक्का था और हम बादलों के ऊपर उड़ रहे थे. कुलवंत मुरझाई सी लग रही थी
Read Moreतुम बिन ये जीवन क्या जीवन, बिखरा सा घर सूना आंगन। हर पल तन्हाई का आलम, उतरा चेहरा डूबा सा
Read Moreकुछ प्रेम लिख कुछ प्रीत लिख अनुराग की नव रीत लिख। इन धडकनों के स्वर के संग मनमीत मन का
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