राजनीति

स्वार्थी राजनीति को साधने के लिए बहस

संसद में असहिष्णुता पर जोरदार बहस हुई। लेकिन यह बहस भी केवल खोदा पहाड़ और निकली चुहिया ही साबित हो रही है। बनावटी असहिष्णुता के नाम पर यह केवल भाजपा संघ और पीएम मोदी को झूठे और मनगढंत आरोपों के तहत घेरने और देश व जनता का कीमती समय बर्बाद करने की साजिश थी। असहिष्णुता और सहिष्णुता का मुददा केवल तथाकथित मुस्लिम वोट बैंक व दलितों पिछड़ों को भड़काकर अपनी राजनीति की रोटियां सेकने वाले नेताओं व दलों के दिमाग की उपज थी। संसद में जिस असहिष्णुता को लेकर जो गर्मागर्म बहस हुई उसमें कुछ सांसदों को छोड़कर सभी सांसदों का भाषण अत्यंत स्तरहीन, ईष्र्या व द्वेष से परिपूर्ण था। विपक्षी सांसदों के भाषणों यह स्पष्ट रूप से प्रतीत हो रहा था कि इन लोगों को यह अभी भी यकीन नहीं हो रहा है कि लोकसभा चुनावों में भाजपा को पांच साल के लिए काम करने का अवसर मिल चुका है लेकिन यह लोग अभी भी भाजपा सरकार का राज्यसभा में बहुमत न होने का लाभ उठाते हुए किसी न किसी बहाने संसद न चलने का बहाना खेाजकर आते हैं और बेकार के मनगढंत विषयों को उठाकर समय खराब कर रहे हैं।

असहिष्णुता पर संसद में जिस प्रकार से बहस की गयी वह बेहद खतरनाक ढंग से देश को विभाजित करने के उददेश्य से की जा रही थी। असहिष्णुता पर बहस के माध्यम से देश के बहुविध समाज को बांटने की साजिश नजर आ रही थी। बहस के दौरान केवल मुस्लिम व दलित समाज के प्रति ही सहष्णिुता का भाव प्रदर्शित किया जा रहा था। राज्यसभा में बहस के दौरान एक जेडीयू सांसद के सी त्यागी ने असहिष्णुता पर यह बयान दिया कि वर्तमान समय में देश में जम्मू काश्मीर विधानसभा को छोड़कर किसी भी विधानसभा में विधानसभा अध्यक्ष मुस्लिम नहीं हैं आखिर आप यह कैसा हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं? अब आज त्यागी जी से यह पूछना बेहद आवश्यक हो गया है कि बिहार में उनकी पार्टी की सरकार है लेकिन वहां पर मुस्लिम विधानसभा अध्यक्ष या फिर उपमुख्यमंत्री क्यों नहीं बनाया गया? वहीं कांग्रेसी सांसद शशि थरूर ने बयान दिया कि, “इस देश में मुस्लिमों से ज्यादा गाय सुरक्षित है। असहिष्णुता राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। आप विश्व में मेक इन इंडिया का तब तक प्रचार नहीं कर सकते जब तक देश में हेट इन इंडिया होगा। भारत में बढ़ती असहिष्णुता को लेकर आज विदेशियों के बीच बातचाीत हो रही है और छवि को आघात लग रहा है।“ ऐसे ही भड़काऊ और डरावनी छवि प्रस्तुत करने वाले भाषण कई और सांसदों की ओर से दिये गये।

इन सभी सांसदों को केवल एक यही सलाह दी जा सकती है कि वे अपनी आंखों के चश्मे का नंबर ठीक करवायें और राष्ट्रपति की बात को समझते हुये व स्वीकार्य करते हुए अपने दिमाग की गंदगी को साफ करें तभी देश में असहिष्णुता का वातावरण ठीक हो सकेगा। अगर शशि थरूर, त्यागी, ओवैसी जैसे सांसदों को देश में असहिष्णुता नजर आ रही है तो उन्हें विदेशी मानसिकता वाले विदेशी मीडिया को पढ़ना बंद कर देना चाहिये। सभी सांसदों को लखनऊ सहित ऐसे सभी नगरों व कस्बों का भ्र्रमण करना चाहिये जहां हिंदू व मुस्लिम आबादी एक साथ शांति के साथ रह रही है। अपने त्यौहार व संस्कृति को एक साथ मिलकर मना रही है। इन सांसदों को यह भी पता होना चाहिए कि यदि इस देश में असहिष्णुता का वातावरण होता तो आज फिल्मी दुनिया में खान बंधुओं का वर्चस्व न होता और दिवंगत डा. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम राष्ट्रपति और वर्तमान में उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी अपने पद पर न होते। देश की कई खेल टीमों में मुस्लिम खिलाड़ी अपने प्रदर्शन से भारत का गौरव बढ़ा रहे हैं। भारत की छवि को तो मुस्लिमपरस्त नेता आघात पहुंचा रहे हैं। भारत में आजादी के बाद कई उच्च पदों पर योग्य मुस्लिमों ने अपनी योग्यता का परिचय दिया है।

असहिष्णुता के बहाने दलगत, राज्यगत राजनीति को चमकाने वाले मुददे भी उठाये गये हैं। बसपा नेत्री मायावती ने दलितों व पिछड़ों का कार्ड खेला। तेलंगाना के सांसद ने कहा कि हमारे लिए असहिष्णुता का मतलब केंद्र की राज्य के प्रति बेरुखी है। उन्होनें हमें आंध्र रिआर्गनाइजेशन एक्ट के तहत मिलने वाली सारी चीजें दी जानी चाहिये। एक प्रकार से असहिष्णुता को अपने प्रकार से भुनाने का प्रयास किया गया। बहस के माध्यम से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का असफल प्रयास कांग्रेस व सेकुलर दलों की ओर से किया गया व किया जा रहा है। फिलहाल बहसबाजी के इस दौर में ये दल पहले चरण में तो विफल व पिछड़ते हुए नजर आ रहे हैं। सोशल मीडिया व मीडिया संस्थानों द्वारा किये जा रहे सर्वे में असहिष्णुता पर बहस कराकर कांग्रेस अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रही है और एनडीए को आगे बढ़ने का रास्ता दे रही हैं। इस प्रकार के काम करने से कांग्रेस व सेकुलर दल विकास विरोधी साबित हो रहे हैं हालांकि अभी जहां-जहां चुनाव हुए हैं वहां पर कुछ स्थानीय कारकों की वजह से वह इन दलों के झूठे प्रचार का क्षणिक लाभ हुआ है। जिससे यह दल अति उत्साह में जी रहे हैं। गुजरात निकाय चुनावों में बीजेपी को मिली सफलता से फिलहाल बीजेपी के गिरते मनोबल को कुछ साहस मिला है। अब भाजपा के पास समय है कि वह अभी सरकारी व संसद के कामकाज को पटरी पर लाये और फिर विपक्ष पर आक्रामक होकर वार करे। विपक्ष के अधिकांश मदुदे दिखावटी और झूठे हैं इनकी साजिशों का बेनकाब होना भी जरूरी है तभी देश का विकास संभव हो सकेगा। आज देश की ज्वलंत समस्या केवल विकास है विकास।

मृत्युंजय दीक्षित