गीत/नवगीत

गीत : मैंने इस संसार में, झूठी देखी प्रीत

मैंने इस संसार में, झूठी देखी प्रीत
मेरी व्यथा-कथा कहे, मेरा दोहा गीत
मैंने इस संसार में ….

मुझको कभी मिला नहीं, जो थी मेरी चाह
सहज न थी मेरे लिए, कभी प्रेम की राह
उर की उर में ही रही, अपना यही गुनाह
कैसे होगा रात-दिन, अब जीवन निर्वाह
जब भी आये याद तुम, उभरे कष्ट अथाह
अब तो जीवन बन गया, दर्द भरा संगीत
मेरी व्यथा-कथा कहे, मेरा दोहा गीत //१. //

आये फिर तुम स्वप्न में, उपजा सनेह विशेष
निंद्रा से जग प्रिये, छाया रहा कलेश
मिला निमंत्रण पत्र जो, लगी हिय को ठेस
डोली में तुम बैठकर, चले गए परदेस
उस किन से पाया नहीं, चिट्ठी का सन्देश
हाय! पराये हो गए, मेरे मन के मीत
मेरी व्यथा-कथा कहे, मेरा दोहा गीत //२ . //

छोड़ गए हो नैन में, अश्कों की बौछार
तिल-तिलकर मरता रहा, जन्म-जन्म का प्यार
विष भी दे जाते मुझे, हो जाता उपकार
विरह अग्नि में उर जले, पाए दर्द अपार
छोड़ गए क्यों कर प्रिये, मुझे बीच मझधार
अधरों पर मेरे धरा, विरहा का यह गीत
मेरी व्यथा-कथा कहे, मेरा दोहा गीत //३. //

महावीर उत्तरांचली

लघुकथाकार जन्म : २४ जुलाई १९७१, नई दिल्ली प्रकाशित कृतियाँ : (1.) आग का दरिया (ग़ज़ल संग्रह, २००९) अमृत प्रकाशन से। (2.) तीन पीढ़ियां : तीन कथाकार (कथा संग्रह में प्रेमचंद, मोहन राकेश और महावीर उत्तरांचली की ४ — ४ कहानियां; संपादक : सुरंजन, २००७) मगध प्रकाशन से। (3.) आग यह बदलाव की (ग़ज़ल संग्रह, २०१३) उत्तरांचली साहित्य संस्थान से। (4.) मन में नाचे मोर है (जनक छंद, २०१३) उत्तरांचली साहित्य संस्थान से। बी-४/७९, पर्यटन विहार, वसुंधरा एन्क्लेव, दिल्ली - ११००९६ चलभाष : ९८१८१५०५१६