फूल खिले हैं प्यार के
गले मिलो गुलनार के
साये में दीवार के
फूल खिले हैं ……………….
जीतो अपने प्यार को
लक्ष्य करो संसार को
अपना सब कुछ हार के
फूल खिले हैं ……………….
ऐसे डूबो प्यार में
ज्यों डूबे मझधार में
नैया बिन पतवार के
फूल खिले हैं ……………….
ख़ुशी मनाओ झूमकर
धरती-अम्बर चूमकर
सपने देखो यार के
फूल खिले हैं ……………….
दिल से दिल को जोड़िये
प्रेम डोर मत तोड़िये
बोल बड़े हैं प्यार के
फूल खिले हैं ……………….
*गुलनार — अनार की एक किस्म की प्रजाति जिसमें फल नहीं लगते।
—गीतकार : महावीर उत्तरांचली

परिचय - महावीर उत्तरांचली
लघुकथाकार बी-४/७९, पर्यटन विहार, वसुंधरा एन्क्लेव, दिल्ली - ११००९६ चलभाष : ९८१८१५०५१६