कवितापद्य साहित्य

नशा

नशा है उनकी ऑखों का,
पीने का बहाना करते हैं ।
मरने की तमन्ना है उनको ,
जीने का बहाना करतें हैं।
दुनियॉ के इस दौर में ,
नशा से कोई बंचित नही,
हर लोग नशे के आदि है।
परवाह नही है उस तन- मन की,
जानते हुयें भी करते है।
नशा की आदि बनते ही,
परिवार. की परिवारिस नही,
केवल नशे में जीते है।
घर खेत बेच देते हैं ।
शिर्फ नशें में पागल रहते है,
नशा हर किसी कों मौत,
का पैगाम देता है।
पीनें वाले कहते है कि,
आराम देता हैं|
@विजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी (स्नातकोत्तर छात्रा) पता -चेनारी रोहतास सासाराम बिहार।

One thought on “नशा

  • नशा तो बुरी बात ही है ,गरीब तो वैसे ही तबाह हो जाते है और अमीर लिवर फेलिउर से .

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