कवितापद्य साहित्य

वर्षा

वर्षा की बूँदें आती है,
सारी कलियॉ खिल जाती है।
भर देती है ताल तलैया,
बहती धार नदी में बनकर,
पेड पेड पत्तो पत्तो में,
सब में हरियाली छा जाती है।
मेढक टर टर करते रहते,
जुगनू स्वयं प्रकाशित होते,
देख किसानों के मन हर्षित
उनमें भी नई जोश जागती।
हल बैलों को लिए खेत में,
नन्ही -नन्ही क्यारियों में,
अन्न के दाने ऊपजाते है।
जब-जब वर्षा की बूँदे आती हैं|
@विजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी (स्नातकोत्तर छात्रा) पता -चेनारी रोहतास सासाराम बिहार।

One thought on “वर्षा

  • अच्छी कविता ,लेकिन अभी तो सर्दी बहुत है ,मेंढक कहीं छुपे हुए होंगे . कविता बहुत सुन्दर है .

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