कवितापद्य साहित्य

यादों के …..

यादो के इस पहलु को
किसी क्षण भी भुला न पाऊगी
जब जब तेरी याद आती
आँखे भर आती है
तुमसे मिलकर ऐसा लगा
नई जींदगी फिर मिल गई.
वो बचपना का साथ आज.
फिर से मुझे मिल गई.
तुझे देखकर कीचड़ मे
मानो कमल खिल गया
ऐसा लगा जैसे कई युगो बाद
मिले हम तुझे देखकर
मेरी बाछे खिल गई…!!!!!!!!!!!!! बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी (स्नातकोत्तर छात्रा) पता -चेनारी रोहतास सासाराम बिहार।

One thought on “यादों के …..

  • बहुत खूब ,पुरानी यादों का अपना ही मज़ा है .

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