उपन्यास अंश

अधूरी कहानी: अध्याय-5: मांस का टुकड़ा

बाहर एक काॅलोनी के प्लेग्राउंड में बच्चे खेल रहे थे तभी अचानक उनके बीच से तेज आवाज में सायरन बजते हुए एक पुलिस की गाड़ी वहां से गुजरी गाड़ी का सायरन की तेज आवाज सुनकर बच्चे अपने-अपने घर चले गये।गाड़ी कालोनी पार करते हुए एक मकान के आगे रुकी और रुकते ही डिटेक्टीव समीर के नेतृत्व में एक दल मकान की तरफ दौड़ पड़ा।
समीर ने कहा दो आदमी मकान के आसपास देखो एक आदमी मकान के दायें तथा एक आदमी मकान के बायें तरफ से पीछे गये तथा समीर और वाकी लोग दरवाजे पर पहुँचे दरवाजा अंदर से बंद था समीर ने बेल बजायी पर अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई समीर ने फिर से बेल बजायी और दरवाजा भी खटखटाया पर फिर भी कोई हलचल नहीं हुई आखिर समीर ने आदेश दिया कि दरवाजा तोड़ दो।
इधर धक्का मारो इधर कुंडी है सब लोग दरवाजे को तोड़ने में मत लगे रहो कुछ लोग हमें गाईड भी करो एक आदमी ने हुकुम दिया ।आखिर उन लोगों ने दरवाजा तोड़ ही दिया।
दरवाजा तोड़कर सब लोग अंदर जाने लगे समीर अपनी पिस्तौल लेकर आगे बढ़ने लगा समीर के पीछे और लोग एक-दूसरे को गाईड करते हुए आगे बढ़ने लगे अपनी-अपनी पिस्तौल लेकर घर में फैलने लगे।
हाॅल में पहुॅचते ही सबकी आंखे फटी की फटी रह गयी उनके सामने बेड पर बिरजू गिरा हुआ था गर्दन कटी हुई थी सब चीजें इधर-उधर फैली हुई थी इससे यह लग रहा था कि बिरजू कालिया मरने से पहले बहुत तड़पा होगा।
घर में बाकी जगह ढूँढो समीर ने आदेश दिया सब लोग घर में फैल गये और कातिल को खोजने लगे।समीर ने कमरे में अपनी नजर दौड़ायी टीवी की स्क्रीन पर बहे खून तथा टीवी पर रखा मांस का टुकड़ा समीर को दिखा समीर ने एक आदमी को इशारा किया वह आदमी वहां जाकर इंवेस्टीगेशन करने लगा समीर ने देखा की इस बार भी घर की सारी खिड़किया अंदर से बंद थी।
अचानक सोफे पर गिरी किसी चिज ने समीर का ध्यान अपनी तरफ खींचा वह बालों का गुच्छा था फिर सब लोग कभी बालों को देखते तो कभी एक-दूसरे को समीर ने उस बालों के गुच्छे को पाॅलीथिन में डालकर फाॅरेन्सिक के लिये भेज दिया।

दयाल कुशवाह

पता-ज्ञानखेडा, टनकपुर- 262309 जिला-चंपावन, राज्य-उत्तराखंड संपर्क-9084824513 ईमेल आईडी-dndyl.kushwaha@gmail.com