गीत/नवगीत

गीत : बस एक बार आओ न

बस एक बार आओ न
दिल के तारों को छूकर
कुछ गुनगुनाओ न
बस एक बार आओ न

कागज के सारे पन्नों पर
स्याही की बूंदों से
कुछ शब्द लिख जाओ न
बस एक बार आओ न

कभी तो आवाज दस्तक की बन
थकी आंखों का इन्तजार मिटाओ न
बस एक बार आओ न

उफ, ये ताउम्र का जीना
इक पल में जिंदगी कैसे जिये
बस इतना तो बता जाओ न
बस एक बार आओ न

बस एक बार आओ न

साधना ठाकुर

साधना ठाकुर

गृहिणी