ये जीवन लघु सरिता सा…
ये जीवन लघु सरिता सा कभी छलका सा कभी रीता सा। कभी उदगारों के भाव विह्ल कभी सत्य सार्थक गीता
Read Moreये जीवन लघु सरिता सा कभी छलका सा कभी रीता सा। कभी उदगारों के भाव विह्ल कभी सत्य सार्थक गीता
Read Moreकौन किसी की पीर सुने, सब पत्थर के इंसान यहां। रिश्ते नातें दौलत इनकी, दौलत ही भगवान यहां॥ भाव भावना
Read Moreआंखों में उसकी शिकायत भर नही है। पल रही कोई बग़ावत देखता हूं॥ जानें किस माहौल का है असर लेकिन।
Read Moreबात सच की कह के अपनी ज़िन्दगी से घात न कर। ये नकाबों का शहर है आईनों की बात न
Read Moreओ३म् ज्ञान व विज्ञान की चरम उन्नति होने पर भी मनुष्य आज भी आधा व अधूरा है। आज
Read Moreसादर सुप्रभात मित्रों, वर्ष 2015 की शानदार विदाई और नव वर्ष का शुभ स्वागतम का समय है। एक कुण्डलिया आप
Read Moreउम्मीदों और आशाओं का दीप जलाता एक वर्ष बीत रहा है। हर वर्ष के अंतिम दिनों में समाज के सभी
Read Moreसावन का महीना था। इंद्रदेव अपने पूरे वेग से बरस रहे थे। सूरज देवता तो जैसे आज निकलना ही भूल
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