जूठन में पड़ी थाली की व्यथा
दो पाँच हजार की खाने की थाली आज खुद शरमा रही है देख हम मासूमो के हालात आज कितनाअकुला रही
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Read Moreतुम साँस लेती हो शायद मेरे लिए, मैं साँस लेता हूँ शायद तुम्हारे लिए, इन सांसों का मिलन ही तो
Read Moreओ३म् महर्षि दयानन्द (1825-1883) ईश्वर के सच्चे स्वरुप के जिज्ञासु तथा उसकी प्राप्ति के उपायों के अनुसंधानकर्त्ता थे। बाइसवें वर्ष
Read Moreआज विश्व विकलांगता दिवस है उनका दिन जिन्हें किस्मत ने हराया मगर हौंसलों ने गिरने न दिया जिन्हें हालात ने
Read Moreओ३म् ईश्वर ने इस संसार को अपने किसी निजी प्रयोजन से नहीं अपितु जीवों के कल्याणार्थ बनाया है। उसी ने
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