कविता : बीत गयी सुहानी बेला
बीत गयी सुहानी बेला क्या लिखूं क्या गाऊं छुट गया हर किनारा मुझसे इस जिदगी का, अब ठौर कहाँ मै
Read Moreबीत गयी सुहानी बेला क्या लिखूं क्या गाऊं छुट गया हर किनारा मुझसे इस जिदगी का, अब ठौर कहाँ मै
Read Moreदिल के हर कोने में बसते हैं वो आँखों के अश्कों में भी सजते हैं वो जाने किन जन्मों का
Read Moreपूनम की चाँद, तुम मुझे शीतलता प्रदान करके। कहाँ चली गई। मुझे बीच में याद दिलाकर कहाँ चली गई। मैं
Read Moreओ३म् चार वेद, ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद ईश्वरीय प्रदत्त ज्ञान के ग्रन्थ हैं। इन वदों का सर्वाधिक प्रमाणित भाष्य
Read Moreअगर सृजन कर जाती प्रेम प्रस्फुटित कर। सृजन-सृजित-मधुर-मिलन संगीनी बनकर। फूलों से सुसज्जित कर हर लो मन की तपन, प्रेम
Read Moreहर पल वेदना सहती रहती थी, अब न रोकूंगी खुद को आली बात करुँगी , बात करुँगी , उनसे ह्रदय
Read Moreपत्थर का पत्थर होना दुनिया मे सबसे जिद्दी होना साबित करता है भले ही आप उसके कितने ही टुकड़े कर
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