गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

मापनी -221 2122 221 2122
चाह

बाँधों न हमें तुम ,कोयल हमें सुनाती ।
आज़ाद हैं हमें बस ,बातें यही लुभाती ।

पँछी कहाँ थमें हैं ,ये तो उड़ान भरते
देखें न ज़ख्म इनको ,संघर्ष राह भाती ।

चाहे मिले न रोटी ,परवाह यह नहीं है
रोटी मगर हमें तो ,पिंजरे कहाँ सुहाती ।

टूटे कभी घरोंदा ,दूजा सजाए हम फिर
सीखा यही बड़ों से ,अड़चन हरा न पाती ।।।

कामनी गुप्ता ***

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |