गीत/नवगीत

देखो ! बसंत ऋतू है आई I

लहराता है जब पीत-दल
धरा जब ले अंगड़ाई
पुलकित होते उपवन जब
लेकर मानस की गहराई
देखो ! बसंत ऋतू है आई I
पिक का कुहू ध्वनि
प्रेमियों का हित-वर्धन बना
भ्रमर गीत कूजन कर
प्रीत -जोग है लगाई
देखो ! बसंत ऋतू है आई I
पीत -पुष्प फूले वन वन
राजहंस औ ” विकच कुमुदयुक्त
विराजे जब माँ शारदे आई
वेद ज्ञान ज्योति से स्पंदित
देखो ! बसंत ऋतू है आई I
गंध -मधु -सुरभित सा
खिला जिसका सुमन दल
बैठ उसमे फसल जब लहराई
देखो ! बसंत ऋतू है आई I

…….. नीरज वर्मा “नीर”

नीरज वर्मा 'नीर'

संक्षिप्त परिचय नीरज वर्मा "नीर" जन्म - 18 नवंबर 1980 शिक्षा - अंग्रेजी साहित्य से स्नातक अन्य - ऐ. डी. एफ. ऐ. , सी. एफ. ऐ. , पी . जी. डी. सी . ऐ . अभिरुचि - संगीत , लेखन , अध्ययन लेखन विधा - कवितायेँ ( छन्दबद्ध , छन्द मुक्त ), आलेख , कहानियाँ, लघुकथाएँ, व्यंग I समाज कल्याण (महिला एवं बाल विकास मंत्रालय - भारत सरकार , वागर्थ ( भारतीय भाषा परिषद ), स्पंदन , जय -विजय , कृषि नजर, सर्वप्रथम समाचार , अद्भुत समाचार , लोकजंग , रचनाकार , समेत देश के विभिन्न राज्यों के प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में नियमित रचनाएँ प्रकाशित , सुखद पल - कुछ विद्यालयों के लिए उनके कुल - गीत का निर्माण , एक संयुक्त काव्य संग्रह कस्तूरी कंचन प्रकाशित , नीरांजली, वेदना के स्वर ( काव्य -संग्रह ) प्रकाशनाधीन अनेक सामाजिक एवं साहित्यिक संस्थाओं में सक्रिय भूमिका , व अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन ई मेल - neerajomverma@gmail.com neerajomverma.blogspot.com सम्पर्क सूत्र- 08858298961, 8418086835 पता – वाराणसी - 221010, उत्तर प्रदेश

3 thoughts on “देखो ! बसंत ऋतू है आई I

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया नवगीत !

  • गुंजन अग्रवाल

    सुन्दर

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बसंत ऋतू का भी अपना ही एक नशा होता है .

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