गीत/नवगीत

हे पिता आपके चरणों में

आप ही हो आदर्श मेरे
और आप मेरे भगवान
आपसे ही पाया मैंने
ये जीवन का वरदान
आपसे ही अस्तित्व है मेरा
आपसे मेरा नाम
हे पिता आपके चरणों में
मेरा बारंबार प्रणाम

  1. ब्रह्मा बनकर सहा आपने
    मेरे सृजन का भार
    विष्णु भी मैं कहूँ आपको
    मेरे पालनहार
    पीकर विष हालात का
    मेरी खातिर हुए महेश
    जैसी आई परिस्थिति
    वैसा ही बनाया वेश
    किया आपने मेरे लिए तो
    त्रिदेवों का काम
    हे पिता आपके चरणों में
    मेरा बारंबार प्रणाम

ऊँगली थाम के आपने मेरी
चलना मुझे सिखाया
आज जहाँ मैं पहुँचा हूँ
उस काबिल मुझे बनाया
मेरे पालन पोषण में ही
कर दी होम जवानी
शब्दों में कैसे समाएगी
आपकी हर कुर्बानी
आपसे ही मिलती है प्रेरणा
मुझे सुबह और शाम
हे पिता आपके चरणों में
मेरा बारंबार प्रणाम

आपसे ही पाया है मैंने
इस जीवन का सार
मैं हूँ एक घड़ा मिट्टी का
आप मेरे कुम्हार
आपसे ही सीखा है मैंने
जिम्मेदारी निभाना
आपसे ही समझा है
संबंधों का ताना-बाना
आपके होने से लगते हैं
घर में चारों धाम
हे पिता आपके चरणों में
मेरा बारंबार प्रणाम

आप ही हो आदर्श मेरे
और आप मेरे भगवान
आपसे ही पाया मैंने
ये जीवन का वरदान
आपसे ही अस्तित्व है मेरा
आपसे मेरा नाम
हे पिता आपके चरणों में
मेरा बारंबार प्रणाम

— भरत मल्होत्रा

*भरत मल्होत्रा

जन्म 17 अगस्त 1970 शिक्षा स्नातक, पेशे से व्यावसायी, मूल रूप से अमृतसर, पंजाब निवासी और वर्तमान में माया नगरी मुम्बई में निवास, कृति- ‘पहले ही चर्चे हैं जमाने में’ (पहला स्वतंत्र संग्रह), विविध- देश व विदेश (कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्र, पत्रिकाओं व कुछ साझा संग्रहों में रचनायें प्रकाशित, मुख्यतः गजल लेखन में रुचि के साथ सोशल मीडिया पर भी सक्रिय, सम्पर्क- डी-702, वृन्दावन बिल्डिंग, पवार पब्लिक स्कूल के पास, पिंसुर जिमखाना, कांदिवली (वेस्ट) मुम्बई-400067 मो. 9820145107 ईमेल- rajivmalhotra73@gmail.com