गीत/नवगीत

मेरी नन्हीं परी अब बड़ी हो गई

कल तक थी वो मेरी छोटी सी गुड़िया
थोड़ी सी चंचल शरारत की पुड़िया
मगर आज अपनी माँ की छवि हो गई

कभी देर तक सोती रहती थी जो
ज़रा कुछ कहो रोती रहती थी वो
माँ कहती थी सीखेगी कब सारे काम
कल को डुबाएगी तू मेरा नाम
छुप जाती थी पापा की गोद में
माँ जब देखती थी उसे क्रोध में
आज परिवार की वो धुरी हो गई
मेरी नन्हीं परी अब बड़ी हो गई

माँ को चिंता थी जाना है मुझको बाहर
कैसे पीछे से होगा तुम्हारा बसर
कहा उसने माँ तुम ना चिंता करो
मैं कर लूँगी सब तुम ज़रा ना डरो
चाय सबको बना के पिला दूँगी मैं
और रोटी भी सबको खिला दूँगी मैं
जिम्मेदारी लेने को खड़ी हो गई
मेरी नन्हीं परी अब बड़ी हो गई

अब सुबह जल्दी-जल्दी उठ जाती है वो
काम सारे फटाफट निपटाती है वो
बनाना आता है जैसा बना देती है
और हमको समय पर खिला देती है
भाईयों को प्रेम से लेती है वो संभाल
चाचा की लाडली रखे सबका ख्याल
परीक्षा उसकी कितनी कड़ी हो गई
मेरी नन्हीं परी अब बड़ी हो गई

कल तक थी वो मेरी छोटी सी गुड़िया
थोड़ी सी चंचल शरारत की पुड़िया
मगर आज अपनी माँ की छवि हो गई
मेरी नन्हीं परी अब बड़ी हो गई

— भरत मल्होत्रा

*भरत मल्होत्रा

जन्म 17 अगस्त 1970 शिक्षा स्नातक, पेशे से व्यावसायी, मूल रूप से अमृतसर, पंजाब निवासी और वर्तमान में माया नगरी मुम्बई में निवास, कृति- ‘पहले ही चर्चे हैं जमाने में’ (पहला स्वतंत्र संग्रह), विविध- देश व विदेश (कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्र, पत्रिकाओं व कुछ साझा संग्रहों में रचनायें प्रकाशित, मुख्यतः गजल लेखन में रुचि के साथ सोशल मीडिया पर भी सक्रिय, सम्पर्क- डी-702, वृन्दावन बिल्डिंग, पवार पब्लिक स्कूल के पास, पिंसुर जिमखाना, कांदिवली (वेस्ट) मुम्बई-400067 मो. 9820145107 ईमेल- rajivmalhotra73@gmail.com

One thought on “मेरी नन्हीं परी अब बड़ी हो गई

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुंदर भावनायें।

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