कविता

नारी

निज त्याग से उन्होने,
इतिहास लिख दिया है!
अपनी खुशी लुटाके,
खुशहाल जग किया है!
जग से बजूद उनका,
अब खो नही सकेगा!
घर नारियों बिना ये,
घर हो नही सकेगा!
जब भी कभी पुकारा,
बस पास वो खडी थी!
सुनते ही दर्द मेरा,
वो खुद भी रो पडी थी!
सत कर्म का सभी को,
दर्पण दिखाती नारी!
सुख दुख में सँग जीना,
सबको सिखाती नारी!

शिव चाहर मयंक

शिव चाहर 'मयंक'

नाम- शिव चाहर "मयंक" पिता- श्री जगवीर सिंह चाहर पता- गाँव + पोष्ट - अकोला जिला - आगरा उ.प्र. पिन नं- 283102 जन्मतिथी - 18/07/1989 Mob.no. 07871007393 सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन , अधिकतर छंदबद्ध रचनाऐ,देश व विदेश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों , व पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित,देश के अनेको मंचो पर नियमित कार्यक्रम। प्रकाशाधीन पुस्तकें - लेकिन साथ निभाना तुम (खण्ड काव्य) , नारी (खण्ड काव्य), हलधर (खण्ड काव्य) , दोहा संग्रह । सम्मान - आनंद ही आनंद फाउडेंशन द्वारा " राष्ट्रीय भाष्य गौरव सम्मान" वर्ष 2015 E mail id- schahar83@gmail.com