कविता

हवस का पात्र दलित ही क्यों !!

सुन ए मेरे मुल्क
तेरा दलित ही
दया का पात्र क्यों…..
संसद की चौखट पर
पुजारी की दुत्कार
का पात्र
दलित ही क्यों……
अय्यासी की चौध पर
जमींदार के कोप
का पात्र
दलित ही क्यों…..
जिस्म के रंग
काम के ढंग में
अछूत का पात्र
दलित ही क्यों
फूलन और रमावती में
बलात्कार का पात्र
दलित ही क्यों…………..
नाजायज गुस्से में
तोड़ फोड़ का पात्र
दलित ही क्यों ………
ब्राम्हणों के झूठन
मैला और कीचड़
ढ़ोने का पात्र
दलित ही क्यों ……..
स्कूल, थानें
अस्पताल और मयखाने में
गाली का पात्र
दलित ही क्यों …….
नपुंशक समाज में
आग का पात्र
दलित ही क्यों
अम्बेडकर के तंत्र में
गुलामी का पात्र
दलित ही क्यों …….
दलित ही क्यों …….

के एम् भाई
Cn. – 8756011826

के.एम. भाई

सामाजिक कार्यकर्त्ता सामाजिक मुद्दों पर व्यंग्यात्मक लेखन कई शीर्ष पत्रिकाओं में रचनाये प्रकाशित ( शुक्रवार, लमही, स्वतंत्र समाचार, दस्तक, न्यायिक आदि }| कानपुर, उत्तर प्रदेश सं. - 8756011826

One thought on “हवस का पात्र दलित ही क्यों !!

  • विजय कुमार सिंघल

    कविता अच्छी है, लेकिन इसमें लिखित विचार एकांगी हैं। आजकल दलितों पर अत्याचार कम होते हैं। वास्तव में तथाकथित दलितों द्वारा सवर्णों और महादलितों पर भी बहुत अत्याचार होते हैं।

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