कविता

“कुण्डलिया”

सादर शुभ दिवस मित्रों, मंच के समस्त प्रबुद्ध जनों को सादर प्रेषित है एक कुण्डलिया…….

“कुण्डलिया”

छोड़ तुझे जाऊं कहाँ, रे साथी ऋतुराज
अब तो पतझड़ आ गया, कैसे कैसे राज
कैसे कैसे राज, वाग नहि देता मुर्गा
भोर दोपहर होय, मनाऊँ कैसे दुर्गा
कह गौतम कविराय, चिरईया दौड़े दौड़
पाए नहीं सराय, कहाँ जाए तुझे छोड़ ।।

महातम मिश्र (गौतम)

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ

2 thoughts on ““कुण्डलिया”

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सुंदर सृजन

    • महातम मिश्र

      सादर धन्यवाद आदरणीय श्री राजकिशोर मिश्र जी, हार्दिक आभार

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