लघुकथा — धरोहर
रमा वर्षों से बंद पड़े संदूक के सामान को उलट पलट कर देखती जाती और नाक मुहँ चढ़ाते हुए बड़बड़ाती जाती
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Read Moreजनरल स्टोर में छुटकी बड़ी देर से खड़ी थी। भीड़ ख़त्म होते ही छुटकी ने दूकानदार को मुट्ठी में दबा
Read Moreअपनी इकलौती संतान राजीव और बहु सुधा को हवाई अड्डे छोड़ कर गुप्ता दंपत्ति ने वापस घर में कदम रखा तो
Read Moreना जाने क्यो मन अनमना सा है उतर रहा है भीतर तक सन्नाटा कुछ मायुसी बुन रही हुं बेवजह के
Read Moreहम सब भारत के नागरिक हैं। हमारा देश 15 अगस्त, 1947 को विगत सैकड़ों वर्षों की दासता के बाद स्वतन्त्र
Read Moreपठानकोट के भीषण मुठभेड़ में रविवार शुबह तक हमारे सात सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए जबकि पांच घुसपैठिए मारे गए। NSG
Read Moreहे पडोसी मुल्क किस गरूर में चूर रहते हो तुम आये दिन कर बैठते हो कोई नया ही दुसाहस कभी
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