बाल कविता

मैं थका हुआ हूं

ममी
मैं थका हुआ हूं
होमवर्क करने के लिए
सैर पर जाने के लिए
आऊटडोर गेम्स खेलने के लिए
मैं थका हुआ नहीं हूं
स्विमिंग पर जाने के लिए
मित्रों के साथ साइकिलिंग पर जाने के लिए
इनडोर गेम्स खेलने के लिए
नेट पर घंटों टाइम पास करने के लिए
हां, अगर मुझे नेट के साथ खाना खाने दोगी
तो
मैं थका हुआ नहीं हूं
कुछ भी खाने-पीने के लिए
बस
प्लीज़ मुझे मत कहना
सो जाने के लिए.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

4 thoughts on “मैं थका हुआ हूं

  • विजय कुमार सिंघल

    आपने आजकल के बच्चों की मानसिकता को बखूबी प्रकट किया है.

    • लीला तिवानी

      प्रिय विजय भाई जी, आपने कविता के मर्म को इंगित किया है, शुक्रिया.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    हा हा ,नए ज़माने के बच्चे .कविता बहुत पसंद आई .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, आप तो जानते ही हैं, कि आजकल हम नए ज़माने के बच्चों के साथ हैं, इसलिए ऐसी ही बातें सीखेंगे.

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