बालोपयोगी लेख

शरारत करो, लेकिन संभलकर

प्रिय बच्चो,
आयुष्मान, बुद्धिमान, सेवामान, अर्थात दीर्घायु बनो, बुद्धिवान बनो, सेवावान बनो. अरे भाई, आप जैसे प्यारे-प्यारे बच्चों को आशीर्वाद देने का यह हमारा तरीका है. हम जिसे पहली बार आशीर्वाद देते हैं, उसके हावभाव से यह जानना चाहते हैं, कि उसे आशीर्वाद का अर्थ समझ में आया या नहीं. बिना अर्थ समझे-समझाए आगे बढ़ने से कोई लाभ नहीं.

अब देखिए न! हम आपको यह तो नहीं कह सकते, कि शरारत मत करो. आप कहोगे- ”बच्चे शरारत नहीं करेंगे, तो कौन करेगा!” ठीक है भाई, शरारत करो, लेकिन संभलकर.

”सोच-समझकर कदम उठाओ,
न खुद परेशान हो, न औरों को सताओ.”

अब कल की ही बात देखो- लखनऊ के एक बच्चे की शरारत ने जीआरपी को नाकों चना चबवा दिए. बच्चे की शरारत से चारबाग स्टेशन की जीआरपी रात तक परेशान रही.

इस बच्चे ने 100 नम्बर कंट्रोल रूम में फोन कर स्टेशन पर बम रखे होने की बात कही थी. पुलिस कंट्रोल ने इसकी जानकारी जीआरपी को दी. सिटी कंट्रोल ने जीआरपी कंट्रोल को उसकी सूचना देने के साथ ही मोबाइल नंबर भी बता दिया. इसके बाद जीआरपी ने स्टेशन पर सतर्कता बढ़ाने के साथ ही चेकिंग कराने का काम शुरू करा दिया. जीआरपी इंस्पेक्टर डीके उपाध्याय ने जब उस नम्बर पर कॉल की, तो फोन एक लड़की ने उठाया.

उन्होंने जब उससे बम की सूचना के बारे में पूछा, तो लड़की के पैरों तले जमीन खिसक गई. उसने बताया कि उसका छोटा भाई मोबाइल से खेल रहा था, गलती से उसने 100 नम्बर मिलाकर यह बात कह दी. लड़की ने अपने भाई की ओर से पुलिस से माफी भी मांगी. इसके बाद जीआरपी ने चैन की सांस ली।”

सबसे पहले तो, सोच-समझकर बोलना अच्छा रहता है. अगर गलती हो भी जाए, तो तुरंत उसको ठीक भी कर लो और माफी भी मांग लो. दो बातें हमेशा याद रखना-

1.गलती एक बार हो जाए, तो साबधान रहो. बार-बार गलती को दोहराना अच्छा नहीं.
2.गलती होने पर तुरंत माफी मांगना सीखो. गलती होने पर माफी मांगने वाला महान होता है.

आप लोग हमारे भविष्य के होनहार कर्णधार हो, आपका विकास हमारा, समाज-देश-दुनिया का विकास. आशा है ये बातें याद रखोगे. पत्र शैली में बच्चों के लिए पहली रचना आप लोगों को कैसी लगी, अवश्य बताइएगा.

आपकी नानी-दादी-ममी जैसी
लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

10 thoughts on “शरारत करो, लेकिन संभलकर

  • ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

    बहुत सुन्दर लेख आदरणीय लीला तिवानी जी .

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छा और शिक्षाप्रद लेख !

    • लीला तिवानी

      प्रिय विजय भाई जी, प्रोत्साहन के लिए शुक्रिया.

  • नीतू सिंह

    सत्य वचन

  • नीतू सिंह

    सत्य वचन

    • लीला तिवानी

      प्रिय सखी नीतू जी, शुक्रिया.

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छा और शिक्षाप्रद लेख, बहिन जी !

    • लीला तिवानी

      प्रिय विजय भाई जी, लेख पसंद करने के लिए शुक्रिया.

  • लीला बहन , बाल शिक्षा पसंद आई . ऐसी शिक्षा की जरुरत भी थी .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, प्रोत्साहन के लिए शुक्रिया.

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