राजनीति

देशहित से बड़ा परिवारहित

पूर्व प्रधानमंत्री मन मोहन सिंह, जिनको विदेशी मीडिया ने कभी गांधी परिवार का बगलबच्चा कहा था, ने मोदी सरकार की आलोचना करके करते अनजाने में ही एक बड़े सत्य का उद्घाटन कर दिया है। उन्होंने कहा है कि यदि मोदी सरकार जीएसटी बिल को राज्यसभा में पास कराना चाहती है तो उसे गाँधी परिवार पर हमले रोक देने चाहिए.

याद कीजिए कि आजकल देश का यह परम पवित्र परिवार, जिसके बारे में कुछ भी पूछना पाप है, नेशनल हेरल्ड पर कब्जा करने के मामले में नाक तक धंसा हुआ है। पेशी में व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट के अलावा उनको कहीं से कोई राहत नहीं मिली है और अदालत में उनको तमाम असुविधाजनक सवालों का उत्तर देना पड़ रहा है।

मन मोहन सिंह कह रहे हैं या यह मानिए कि उनके मुँह से परिवार ने कहलाया है कि सरकार इस मामले को रफ़ा दफ़ा करके बिल को पास करवा ले, नहीं तो बिल ऐसे ही लटका रहेगा। दूसरे शब्दों में यह सरासर ब्लैकमेल का मामला है। यह परिवार देश के विकास को रोककर अपनी काली करतूतों पर पर्दा डालना चाहता है।

इस पृष्ठभूमि में, यदि यह परिवार राष्ट्रविरोधियों का सरे आम समर्थन करता है तो आश्चर्य क्या है? वास्तव में यह परिवार देश का कलंक और हमारे ऊपर बोझ है। अब इसको उचित दंड देने का समय आ गया है।

— विजय कुमार सिंघल

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com

4 thoughts on “देशहित से बड़ा परिवारहित

  • विजय भाई , एक ही खानदान देश पर राज करता रहे ,यह डैमोक्रेसी नहीं है बल्कि लोगों को मानसिक ब्लैकमेल करके राज करना ही है .

    • विजय कुमार सिंघल

      सही कहा भाई साहब आपने !

  • लीला तिवानी

    प्रिय विजय भाई जी, एकदम सही, सटीक व समसामयिक बेबाक आलेख के लिए आभार.

    • विजय कुमार सिंघल

      धन्यवाद, बहिन जी !

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