शिशुगीत

शिशुगीत – १४

1. होली

मम्मी जल्दी से दो खाना
है बाजार हमें तो जाना
पिचकारी जो लानी है
होली आने वाली है

2. गुब्बारे

होलीवाली मस्ती में
नहीं बचोगे सस्ती में
रंग भरे गुब्बारे हैं
देखो कितने सारे हैं
फेकेंगे हम चुन-चुनकर
छिपो भले घर या बाहर

3. रंग

नीले, पीले, लाल, गुलाबी
रंग मेरी खुशियों की चाबी
होली की पहचान यही हैं
बाकी बातें लगें किताबी

4. दादा-दादी

घर आये हैं दादा-दादी
इस बारी फिर होली में
हँसा-हँसाकर फिर खेलेंगे
हम बच्चों की टोली में

5. नई क्लास

प्रथम श्रेणी से पास परीक्षा
नई क्लास में आये हम
मम्मी-पापा गर्व कर रहे
इतने नंबर लाये हम
आगे-आगे बढ़ना है
मन लगाकर पढ़ना है

*कुमार गौरव अजीतेन्दु

शिक्षा - स्नातक, कार्यक्षेत्र - स्वतंत्र लेखन, साहित्य लिखने-पढने में रुचि, एक एकल हाइकु संकलन "मुक्त उड़ान", चार संयुक्त कविता संकलन "पावनी, त्रिसुगंधि, काव्यशाला व काव्यसुगंध" तथा एक संयुक्त लघुकथा संकलन "सृजन सागर" प्रकाशित, इसके अलावा नियमित रूप से विभिन्न प्रिंट और अंतरजाल पत्र-पत्रिकाओंपर रचनाओं का प्रकाशन

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