स्वास्थ्य

वाष्प स्नान का विकल्प धूप स्नान

धूप स्नान किसी छत या बालकनी में ऐसी जगह लिया जाना चाहिए जहाँ दोपहर को सीधी धूप आती हो। इसका सबसे अच्छा समय दोपहर १२ बजे से २ बजे के बीच है।

धूप स्नान के लिए केवल भीतरी छोटे कपड़े पहने रहिए। पहले एक गिलास ठंडा पानी पी लीजिए और सिर पर एक कपड़ा तह करके ठंडे पानी में भिगोकर रख लीजिए। अब धूप आने वाली जगह पर चटाई बिछाकर एक कम्बल ओढ़कर बैठिए। कम्बल से सारे शरीर को इस तरह ढकना चाहिए कि पूरा शरीर अच्छी तरह ढक जाए परंतु साँस लेने के लिए मुँह-नाक खुली रहें।

इस तरह बैठने पर शरीर गर्म हो जाएगा और पसीना आने लगेगा। खूब पसीना आने में २० मिनट से आधा घंटा तक लग सकता है। अच्छी तरह पसीना आ जाने पर उठ जाइए और तत्काल बाथरूम में जाकर ठंडे पानी से नहा लीजिए। गीले कपड़े से रगड़ रगड़ कर नहाइए। साबुन तेल आदि बिल्कुल मत लगाइए।

धूप स्नान सप्ताह में एक बार बेखटके लिया जा सकता है। आवश्यक होने पर सप्ताह में दो बार भी ले सकते हैं। अगर धूप में बैठने पर चक्कर आने लगें तो उसी समय उठ जाइए।

धूप स्नान से शरीर को बहुत लाभ होता है। खून की सफाई होती है और फ़ालतू चर्बी कम होती है। शरीर मज़बूत होता है। यह भाप स्नान (स्पा) का सबसे अच्छा विकल्प है। भाप स्नान से होने वाले सभी लाभ इससे मिल जाते हैं।

— विजय कुमार सिंघल

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com

4 thoughts on “वाष्प स्नान का विकल्प धूप स्नान

  • लीला तिवानी

    प्रिय विजय भाई जी, बेशकीमती जानकारी देने के लिए शुक्रिया.

    • विजय कुमार सिंघल

      आभार बहिन जी !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    विजय भाई ,सन बाथ के बारे में जानकारी अच्छी लगी ,हम तो भाई सूर्य के लिए तरसते हैं किओंकि यहाँ ठंड ही ठंड होती है ,हाँ अप्रैल मई से कुछ कुछ गर्मी शुरू हो जायेगी लेकिन लेकिन १८ २० डिग्री के आस पास ही होगी ,वैसे मैं तो धुप में बैठने का बहुत शौक़ीन हूँ और कम्बल ओड़ने का काम इस समर में अवश्य करूँगा .

    • विजय कुमार सिंघल

      धन्यवाद भाईसाहब !
      हल्की ठंड में सुबह सुबह धूप का सेवन करना भी बहुत लाभदायक है।
      १८-२० डिग्री गर्मी में कम्बल से कितनी गर्मी आयेगी कहा नहीं जा सकता। फिर भी आप कोशिश कीजिए। वैसे मैं अगले लेख में सरल भाप स्नान की विंधि भी बताऊँगा। आप उससे अधिक लाभ उठा सकते हैं।

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