राजनीति

घर के अन्दर बैठे आतंकियों का क्या होगा?

भारतवर्ष का अपना निराला ही रूप दिखायी देता है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि – यह एक मतनिरपेक्ष देश है, जिसको लोग धर्मनिरपेक्ष भी कह देते हैं। जहां धर्मनिरपेक्षता की आड़ में लोकतान्त्रिक व्यवस्था को बिगाड़ने का हर सम्भव प्रयास किया जाता है।
ऐसा ही कुछ 9 फरवरी 2016 को हुआ, शायद आपको यह सारा वृत्त ज्ञात होगा कि इस दिन क्या कुछ हुआ-9 फरवरी को जे.एन.यू. में वामपन्थी और दलित संगठनों से जुड़े छात्रों ने संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु की बरसी मनाई, इसमें कश्मीर के छात्र शामिल थे। इसके लिए कैंपस में एक सांस्कृतिक संध्या का आयोजन भी किया गया था। इस दौरान देश विरोधी नारे भी लगाए गये।
यह सब जानकर प्रत्येक भारतीय को बहुत दुःख हुआ होगा कि – 9 फरवरी को ही हनुमनथप्पा जो जे.एन.यू. के समीपस्थ ही सेना के अस्पताल में देश के लिए अपनी आखरी सांस ले रहे थे। जहां समुचा देश एकजुट होकर उसके जीवन के लिए प्रार्थना व हवन कर रहा था, वहीं देश को एक नई दिशा व दशा देने वाला तथाकथित वर्ग ऐसे सिपाही के बलिदान को कुछ नहीं समझ रहा था अपितु वह तो आतंकी गतिविधियों को बढावा देने वाले को श्र(ांजलि दे रहा था। संसद पर अफजल गुरु ने जो हमला किया यदि वह हमला जे.एन.यू. में हुआ होता तब शायद वहां के लोगों की आं खे खुली होती। जहां संसार भर में इस कृत्य की निन्दा हुयी, वहीं संसद हमले के समय संसद में फसे हुए कुछ तथाकथित सांसद भी इस राष्ट्रदोही कृत्य का अनौपचारी समर्थन कर रहे हैं।
हम सभी जानते हैं कि देश में अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर देश की छवि धूमिल करने की पूरी कोशिश की जा रही है। अभी हाल की ही घटना है कि भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली के समर्थक को लाहौर में अपनी छत पर भारतीय ध्वज फहराने पर 24 घण्टे के अन्दर-ही-अन्दर 10 साल की सजा दे दी जाती है।
आज-कल हम कश्मीर के विभिन्न भागों में तिरंगा जलाने और पाकिस्तानी तथा आई एस के झण्डे फहराने की घटनाएं लगभग प्रत्येक दिन सुन व देख रहे हैं, ऐसे में सरकार के शान्त रहने से दिल्ली में इनके इतने हौसले बढ़ गए कि उन्होंने अफजल गुरु की फांसी के विरोध में कार्यक्रम आयोजित कर दिया और यूनिवर्सिटी को पता तक न चला, ये बेहद आश्चर्य को दर्शाता है। यह सचमुच बहुत की शर्मसार कृत्य है। क्या यह देशद्रोह नहीं है? इससे बढ़कर और आतंकी होने की कसौटी क्या हो सकती है? अफजल गुरु जैसे आतंकवादियों से सहानुभूति रखना देशद्रोह नहीं तो और क्या है? यह कोई छोटी घटना नहीं है, अपितु इसे एक योजनाबद्ध तरीके से कार्यरूप दिया गया है। क्योंकि बाहरी आतंकी शक्ति तो अपने आप ही कमजोर होती जा रही है। इसीलिए घर के अन्दर बैठे लोगों को ही आतंकी बनाने की जोर-शोर से तैयारी चल रही है।
इन विरोधी छात्रों का अतंकवादी संगठन खुले-आम समर्थन कर रहे हैं। जे.एन.यू. में राष्ट्रविरोधी नारेबाजी को आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद का खुला समर्थन प्राप्त हो रहा है। सईद ने कथित तौर पर ट्वीट कर पाकिस्तानियों से जे.एन.यू. छात्रों के प्रदर्शन का समर्थन करने की अपील की थी।
सरकार को ऐसे कृत्य के लिए कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए कि कल को कोई और ऐसा करने की भूल मन में भी न सोच सके।
दिल्ली तो क्या देश के किसी भी कोने में देशद्रोहियों के समर्थन में किसी को आवाज ऊॅंची करने की हिम्मत नहीं होनी चाहिए। शाहरुख खान, आमिर खान और करण जौहर जैसे कई काफिरों से पूछना चाहता हूं , जिन्होनें असहिष्णुता को लेकर देश की छवि खराब की और उन तथाकथित कलमबेंचू साहित्यकारों से जिन्होंने राष्ट्रिय पुरस्कार व सम्मान लौटाए, वे बताएं कि एक यूनिवर्सिटी में आतंकवादियों का समर्थन करने के लिए कार्यक्रम आयोजित करना कहां तक सही है? अब इन लोगों की आत्मा क्यों नहीं रो रही है।? अब सबकी बोलती क्यों बन्द है? अब ये चांडाल चैकडी ‘गो इण्डिया गो बैक, भारत की बरबादी तक जंग रहेगी जारी, कश्मीर की आजादी तक जंग रहेगी जारी, अफजल हम शर्मिन्दा हैं तेरे कातिल जिन्दा हैं, तुम कितने अफजल मारोगे, हर घर में अफजल निकलेगा, अफजल तेरे खून से इन्कलाब आयेगा’ के नारों के विषय में क्या कहेंगे?
यह भारत ही है जहां इतना सब कुछ होने पर भी अभी तक कार्यवाही के नाम पर केवल गिरफ्तारी ही की गयी है। दिल्ली में इतना कुछ हो गया पर अब तक सब कुछ सहन किया जा रहा है। परन्तु यदि अलगाबवादी कश्मीरियों या मुसलमानों के मामले पर कोई प्रदर्शन होता तो हमारे यहां इसे असहिष्णुता का नाम दिया जाता। यह भारत ही है, जहां सब कुछ चलता है क्योंकि हम सहिष्णु हैं। हम उन लोगों में से नहीं है जो भूल जायें कि अफजल गुरु ने भारतीय संसद पर हमला किया और फिर 11 साल तक केस चला तब जाकर 2013 में उसे फांसी की सजा दी गई, इस हमले को विफल करने वाले अपने उन 11 जवानों के बलिदान को कैसे भूला सकते हैं।
समय है कि इन दिनों देशद्रोहियों के खिलाफ तुरन्त एक्शन लिया जाना चाहिए। सवाल यूनिवर्सिटी प्रशासन की चुप्पी का नहीं है अपितु सरकार कब बड़ा कदम उठायेगी यह है। इस मामले में दिल्ली वालों को एकजुट होकर देशद्रोहियों को सबक सिखाने के लिए नई क्रान्ति लानी होगी। यही समय की मांग है।
लोकतन्त्र में सरकार को, व्यवस्था को, प्रधानमन्त्री को, मन्त्रियों को, राजनीतिक पार्टियों आदि को बुरा-भला कहने की बात तो समझी जा सकती है, उस का समर्थन भी किया जा सकता है किन्तु अपनी ही जन्म-भूमि का अहित करने की सोच रखने वाले कुछ भी हो सकते हैं किन्तु मनुष्य तो निश्चित ही नहीं हो सकते। जो अभिव्यक्ति को ही स्वतन्त्रता के नाम पर देशद्रोह का समर्थन करते हैं, उनकी मानसिकता की जां च कराना हम सबका मौलिक कर्तव्य होना चाहिए।
राष्ट्र महान् है तथा राष्ट्र सर्वोपरि है, राष्ट्रद्रोही तत्वों का निर्मूल करना राजा का परम कर्तव्य है। यही राजा का राजधर्म है –
देशद्रोही अथवा शत्रुपथ से मिले हुए के लिए दण्ड का विधान हुए चाणक्य नीति में इस प्रकार प्राप्त होता है कि –
‘दुष्याः तेषुधर्मरूचिपां सुदण्डम् प्रयुजीत’ (5/4)
अर्थात् देशद्रोह करने वाले का सर्वनाश कर देना चाहिए। यही इन कुकृत्य करने वालों के साथ करना चाहिए।
ऋग्वेद स्पष्ट शब्दों में आदेश देता है –
‘अमित्रहा वृत्रहा दस्युहा च विश्वा वसून्या भरा त्वं न’( ऋग्वेद-18/83/3)
अर्थात् जो समाज में दस्यु कर्म, सुख-शान्ति में बाधा डालने वाले हैं, उनको नष्ट कर देना चाहिए।
ऐसे विकराल काल में राजा को कठोर निर्यण लेना चाहिए, जिसके लिए ऋग्वेद के 10 वें मण्डल में आदेश दिया गया है-
ये नः………उग्रं चेत्तारमधिराजमक्रन्। (10/128/9)
देशद्रोही को कठोर से कठोर दण्ड के लिए यजुर्वेद के 39 वें अध्याय में कहा है कि –
उग्रं लोहितेन मित्रं सौव्रत्येन रुदं्र दौर्व्रत्येनेन्द्रं प्रक्रीडेन मरुतो बलेन साध्यान् प्रमुदा। भवस्य कण्ठय रुद्रस्यान्तः पाश्वर्यं महादेवस्य यकृच्छर्वस्य वनिष्ठुः पशुपतेः पुरीतत्।। (यजुवेद.-39/9)
ऐसे दुष्ट पापचारियों तथा देशद्रोहियों के लिए मनु महाराज का विधान है कि -‘दण्ड शास्ति प्रजा सर्वा दण्ड एवाभि रक्षति’ (मनु.-9/7)
अर्थात् दण्ड ही प्रजा को व्यवस्थित रखता है और दण्ड ही सभी की रक्षा करता है। अतः प्रशासन को इन कुकृत्यों के खिलाफ देशद्रोह का अभियोग चलाना चाहिए और कठोरतम दण्ड देना चाहिए।
यदि प्रशासन इस कार्य को करने में असमर्थ हो तो प्रत्येक भारतीय को अपनी भारतीयता को दिखाते हुए रतन टाटा के समान देश की प्रत्येक गतिविधियों से इन जेएनयू में पल रहे आतंकवादी कम्यूनिटों का बहिष्कार करना चाहिए।
आज प्रत्येक मनुष्य के लिए आवश्यकता है कि वह हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि की क्षुद्र मानसिकता से ऊपर उठकर अपने को भारतीय बनाने का यत्न करना चाहिए। यही ऐसी समस्या का हल है अन्यथा आज एक ऐसी घटना हुयी कल को सर्वत्र यही दृश्य दिखायी देंगे।
अब हम कैसा चाहते हैं, सोचने की बात है?

शिवदेव आर्य 

शिवदेव आर्य

Name : Shivdev Arya Sampadak Arsh-jyoti: Shodh Patrika Add.- Gurukul Poundha,Dehradun, (U.K.)-248007 Mobi.-08810005096 e-mail- shivdevaryagurukul@gmail.com

4 thoughts on “घर के अन्दर बैठे आतंकियों का क्या होगा?

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छा लेख ! घर में बैठे आतंकी अधिक खतरनाक हैं। इन आस्तीन के साँपों को समूल नष्ट करना अनिवावहै।

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छा लेख ! घर में बैठे आतंकी अधिक खतरनाक हैं। इन आस्तीन के साँपों को समूल नष्ट करना अनिवावहै।

  • Man Mohan Kumar Arya

    आपने अपने इस लेख से देश भक्ति का जो अमर सन्देश दिया है वह अभिनंदनीय है और देशद्रोह की जो घटनाएँ हुई हैं वह निंदनीय हैं। सरकार और प्रशासन को उसका मर्दन और समूल उच्छेद करना चाहिय। जो लोग इस मुद्दे पर वोट बैंक की राजनीति कर रहें हैं वह देश को हानि पहुंचाने का कार्य भी निंदनीय है। लेख के लिए धन्यवाद।

  • Man Mohan Kumar Arya

    आपने अपने इस लेख से देश भक्ति का जो अमर सन्देश दिया है वह अभिनंदनीय है और देशद्रोह की जो घटनाएँ हुई हैं वह निंदनीय हैं। सरकार और प्रशासन को उसका मर्दन और समूल उच्छेद करना चाहिय। जो लोग इस मुद्दे पर वोट बैंक की राजनीति कर रहें हैं वह देश को हानि पहुंचाने का कार्य भी निंदनीय है। लेख के लिए धन्यवाद।

Comments are closed.