प्रेम-पांति
प्रेम-पांति प्राणों के स्पंदन हे प्रिय! वंदन! करे न वहन बोझिल नयन यह निद्रा-शयन। इस प्रेम -अगन
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Read Moreख़्वाहिश-जज्बा-सब्र-सुकूँ-चाहत बन बैठा वो. जाने कैसे कब मेरी आदत बन बैठा वो. जिसको बिन खोले ही मैंने पूरा पढ़ डाला,
Read Moreगुरूर मत कर उन चीजों का जो तेरे पास हैं फक्र कर उन के लिए जो तूने बाँट दी ….
Read Moreएक बार की बात है किसी राज्य में एक राजा था जिसका केवल एक पैर और एक आँख थी। उस राज्य में सभी
Read Moreहमारे पिता जी और हमारे ताऊ जी इस दुनीआं से चले गए थे लेकिन जो जो दुःख हमें अपने लोगों
Read Moreओ३म् मनुष्य के जीवन के दो यथार्थ हैं पहला कि उसका जन्म हुआ है और दूसरा कि उसकी मृत्यु अवश्य
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