गीतिका/ग़ज़ल

“गीत-नवगीत”

“गीत-नवगीत”
गीत कैसे लिखूँ नाम तेरे करूँ
शब्द शृंगार पहलू समाते नहीं
किताबों से मैंने भी सीखा बहुत
हुश्न चेहरा पढ़ें मन सुहाते नहीं॥……. गीत कैसे लिखूँ ……..
ये शोहरत ये माया की मीठी हंसी
लिए पैगाम यह चुलबुली मयकसी
होठ तक सुर्खुरु साथ के ये सगे
गर उतरे हलक में तो देते दगे॥
मान लूँ गर तुम्हें इक हमराज ही
राज भी राज-ए दिल गुनगुनाते नहीं॥…..गीत कैसे लिखूँ ……
हुश्न की चाह ड्योढ़ी पे बदनाम है
इस महफिल में हर शक्स गुमनाम है
जोड़ दूँ कैसे वह डोर इस डोर से
मोड़ लूँ नाव यह कैसे उस छोर से॥
बाढ़ आई बहुत पर ये लंगर मेरे
कभी हिलते नहीं और हिलाते नहीं॥……गीत कैसे लिखूँ …..
महातम मिश्र

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ

3 thoughts on ““गीत-नवगीत”

  • लीला तिवानी

    प्रिय महातम भाई जी, गीत कैसे लिखूँ करते-करते ही गीत लिखा गया. अति सुंदर.

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत शानदार गीत !

    • महातम मिश्र

      सादर धन्यवाद आदरणीय विजय सर जी, आभार

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