बाल कविता

खेलों को बढ़ावा देने हेतु एक बालकृति

ऐ नन्ही तू कित कित खेल , नन्हा तू खेल कबड्डी ….
तभी तो होगी तन्दरुस्ती , मजबूत होगी तेरी हड्डी !!

दौड़ा-दौड़ी भागमभाग, तितलियों के पीछे ,
झूला बना के झूल -झूल, तू अमिया के नीचे !
बन के नन्हा पहलवान
उतर जा अखाड़े  में तू पहन के छोटी चड्डी, ऐ नन्ही तू……………….

छप-छप पानी में उतार तू अपनी कागज की नाव,
या एक घरौंदा बना दबा के रेत के नीचे पाँव —-
तकपक -तकपक चला काठ का घोड़ा ,बैल और काठ की गड्डी !!  ऐ नन्ही तू……………………….

छुक-छुक ,छुक-छुक की पुकार,
जुड़ -जुड़ के बना ले लम्बी कतार,
तेरी रफ्तार के आगे तो रेलगाड़ी  हो जाए फिसड्डी …

ऐ नन्ही तू  कितकित खेल , नन्हा तू खेल कबड्डी!!

— आरती वर्मा

आरती आलोक वर्मा 'नीलू'

आरती वर्मा ,"नीलू" W/o----श्री आलोक कुमार वर्मा शिक्षा ---एम ए स्नातक----(भूगोल) स्नातकोतर--(इतिहास) आनंद नगर, सिवान, बिहार जिला -सिवान, शहर--सिवान बिहार राज्य शौक --लेखन ,चित्रकारी पेशा---गृहिणी

2 thoughts on “खेलों को बढ़ावा देने हेतु एक बालकृति

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया बाल गीत !

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया बाल गीत !

Comments are closed.