कविता

रंग लगाने के बहाने पड़ोसन का हाथ जो पकड़ा

रंग लगाने के बहाने पड़ोसन का हाथ जो पकड़ा

बीबी का फिर यारो गाल पर  पड़ा मुक्का  तगड़ा

हाल न पूछो करते रहे सिकाई फिर पंचमी तक

दर्द छिपाते रहे सबसे खतरनाक सूजा था जबड़ा

भूल  छोटी थी या बड़ी कुछ समझ ना पाए हम

इतना याद है रंग लगा के जमीन पर था रगड़ा

यह करतूत इतनी भारी पड़ेगी नही था हमें पता

आये दिन फिर पीटती लपककर, कर के झगड़ा

कांपते अब तो हाथ रंग को छूने का सोच कर

महीने भर डर के बुखार ने हमें तो रखा जकड़ा

“दिनेश “

दिनेश दवे

नाम : दिनेश दवे पिता का नाम :श्री बालकृष्ण दवे शैक्षणिक योग्यता : बी . ई . मैकेनिकल ,एम .बी.ए. लेखन : विगत चार पांच वर्ष से , साँझा प्रकाशन पता : दिनेश दवे , केमिकल स्टाफ कॉलोनी ,बिरलाग्राम, नागदा जिला उज्जैन ..456331..मध्य प्रदेश

2 thoughts on “रंग लगाने के बहाने पड़ोसन का हाथ जो पकड़ा

  • विजय कुमार सिंघल

    हा हा हा हा हा बढ़िया होली गीत !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    हा हा हा , बहुत खूब .

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