कविता

इतिहास पुरुष अंबेडकर

चौदह अप्रैल का वो दिन था कितना महान
चौदहवीं का चाँद उतरा चौदहवीं संतान
महार जाति के निम्न वर्ग में जन्मे थे जो
झेला अंबेडकर ने बहुत सा दुख अपमान।

कबतक रोक सकेगा बादल सूरज को उगने से
आग के कमल को क्या कोई रोक सकेगा खिलने से
जिस राही के चलने से बन जाता है नया रास्ता
कब तूफान रोक पाया है कर्मवीर को बढ़ने से

अछूत समझ होता उनके साथ पशुओं सा व्यवहार
इतिहास रचनेवाला कैसे मान ले अपनी हार
समाज सुधार के लिए उसने चलाया कई आंदोलन
दलित वर्गों को उसने दिलाया उसका अधिकार

बाबा साहब ने जन-जन को जागरूक बनाया
धर्म-जाति ऊँच-नीच का भेदभाव मिटाया
देशप्रेम शांति श्रम जीवन का राह दिखाकर
एकता और अखंडता का सबको पाठ पढाया

संविधान के इस जनक ने दिया देश को संविधान
कुरितियों को मिटाकर किया समाज का उत्थान
स्वतंत्रता समानता का सबको अधिकार दिलाया
उस इतिहास पुरुष को मिला भारत रत्न सम्मान।
-दीपिका कुमारी दीप्ति ं

दीपिका कुमारी दीप्ति

मैं दीपिका दीप्ति हूँ बैजनाथ यादव की नंदनी, मध्य वर्ग में जन्मी हूँ माँ है विन्ध्यावाशनी, पटना की निवासी हूँ पी.जी. की विधार्थी। लेखनी को मैंने बनाया अपना साथी ।। दीप जैसा जलकर तमस मिटाने का अरमान है, ईमानदारी और खुद्दारी ही अपनी पहचान है, चरित्र मेरी पूंजी है रचनाएँ मेरी थाती। लेखनी को मैंने बनाया अपना साथी।। दिल की बात स्याही में समेटती मेरी कलम, शब्दों का श्रृंगार कर बनाती है दुल्हन, तमन्ना है लेखनी मेरी पाये जग में ख्याति । लेखनी को मैंने बनाया अपना साथी ।।