मुक्तक/दोहा

मुक्तक

1.
ज़ख्मों को हवा देकर भी क्या पाओगे
फिर अतीत से ही जुड़े रह जाओगे
शायद कुछ सही न था उन बातों में
फिर उन्हें दोहरा कर बिखर जाओगे।।।

2.
परोपकार की कोई परिभाषा नहीं होती
हर किसी की सोच एक सी नहीं होती
खुद से पहले जो जन और की सोचे
ऐसी भावना हर किसी में नहीं होती।।।
कामनी गुप्ता ***

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |