कविता

अकाल या अनावृष्टि

जलाशय सूखे, नहर, कुएं सब सुख गए

खेतों में पानी नहीं, जमीन में दरारे पड गए ||1||

दैवी प्रकोप है या, है यह प्रकृति का रोष

स्वार्थी बने मानव, दिल में दरार पड़ गए ||२||

बूंद बूंद पानी के लिए, खगवृन्द तरसते रहे

बिन पानी सबके प्राण, एक साथ निकल गए ||३||

सुखा पीड़ित घूँट घूँट पानी के लिए तरसते रहे

लाखों लीटर पानी, एक क्रिकेट मैंदान पी गए ||४|

‘प्रसाद’ कहे सुनो नेता, जनता को ना यूँ मारो

तुम्हारे खेल कूद, जनता पर भारी पड गए ||५||

कालीपद ‘प्रसाद’

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*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !