कुछ छुटपुट रचनाएँ
मुद्दत बाद आज आंसू पोंछ भी रहे हो तो क्या ‘मंजु’ सारी उम्र का तो वादा नहीं किया तुमने ‘मंजु’
Read Moreमुद्दत बाद आज आंसू पोंछ भी रहे हो तो क्या ‘मंजु’ सारी उम्र का तो वादा नहीं किया तुमने ‘मंजु’
Read Moreखेलने कूदने के दिनों में कोई बालक श्रम करने को मजबूर हो जाय तो इससे बडी विडम्बना समाज के लिए
Read Moreरंगो भरी खुशियाँ बिखेरने आई ये होली सब में प्यार बाँटने आई ये होली मगर रंगो में कुछ फीका है
Read Moreतुम चाहो तो मैं कह दूँ आज, तुम चाहो तो मैं ना भी कहूँ , इन झुकती आँखों के सारे
Read Moreजिनको कभी थे… हम नज़रंदाज़ करते, बन धड़कन वो दिल में, समाने लगे हैं ! आजकल बेवजह… हम मुस्कुराने लगे
Read Moreअब न आऊँगी सखी तुम्हारे उस गेह में। अनुभूत होती न्यूनता निरंतर स्नेह में। शेष रव को मौन होने से
Read Moreजलाशय सूखे, नहर, कुएं सब सुख गए खेतों में पानी नहीं, जमीन में दरारे पड गए ||1|| दैवी प्रकोप है
Read Moreरक्त का संचार है पर्यावरण साँस की रफ़्तार है पर्यावरण। फूल, फल या छाँव की ख्वाहिश अगर तो प्रकृति से
Read Moreओ३म् महर्षि दयानन्द मथुरा में प्रज्ञाचक्षु गुरू विरजानन्द सरस्वती से अध्ययन कर देश व संसार से अज्ञान मिटाने के लिए
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