कविता

कविता : रंग बदलते मैँने देखे

अजब गजब सारी दुनिया के
रंग बदलते मैँने देखे ।
ज़र्रे ऊपर उठते देखे ,
गिरते यहाँ मसीहा देखे ।।
दौलत की भूखी आँखेँ थीँ ,
रिश्तोँ की झूठी फितरत थी ।
मुस्कानेँ कुछ लोग खरीदेँ ,
बिकते बेबस आँसू देखे ।।
बँगलोँ मेँ बह रहे समन्दर ,
बाहर कितने प्यासे देखे ।
हँसते यहाँ दरिंदे देखे ,
कुछ मजबूर रुँआसे देखे ।।
कूकुर खाते बिस्कुट देखे ,
बीनेँ कचरा बच्चे देखे ।
झूठे लोग मलाई खाते ,
भूखे मरते सच्चे देखे ।।
अजब गजब सारी दुनिया के ,
रंग बदलते मैँने देखे ।।

                                 -ज्योत्सना सिंह

ज्योत्सना सिंह

नाम- ज्योत्सना सिंह । जन्म- 1974 शिक्षा- एम.ए.( अंग्रेजी साहित्य) बी.एड. व्यवसाय- कई वर्ष तक पब्लिक स्कूलों में शिक्षण कार्य। वर्तमान शहर- बरेली । फ़ोन न- 9412291372 मेल आई डी- jyotysingh.js@gmail. com विधाएँ - कविताएँ, लघुकथा, कहानी, निबन्ध लेख । प्रकाशन- विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित।

One thought on “कविता : रंग बदलते मैँने देखे

  • अर्जुन सिंह नेगी

    यथार्थ को उद्घाटित करती सुन्दर कविता

Comments are closed.