गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल


तुम ही मेरी इबादत तुम ही मेरी दुनिया।

तुम्हारे इर्द गिर्द ही सिमटी मेरी खुशियाँ।।

 

दम तोड़ती दिल में अनगिनत मेरी ख्वाहिशें।

उस पर है क़यामत तुझसे मेरी दूरियां।।

 

धड़कने भी भूल जाएं दिल का रास्ता।

थोड़ा भी हो फासला जब अपने दरमियां।।

 

शायद नसीब में ही नही तुझसे मुलाकात।

कुछ न कुछ तो बनता मिलने का जरिया।।

 

कोशिश करो कितना भी बचने की लेकिन।

गहरा है बहुत मेरी चाहत का दरिया।।

 

-सुमन शर्मा

सुमन शर्मा

नाम-सुमन शर्मा पता-554/1602,गली न0-8 पवनपुरी,आलमबाग, लखनऊ उत्तर प्रदेश। पिन न0-226005 सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन प्रकाशित पुस्तकें- शब्दगंगा, शब्द अनुराग सम्मान - शब्द गंगा सम्मान काव्य गौरव सम्मान Email- rajuraman99@gmail.com

One thought on “ग़ज़ल

Comments are closed.